India News (इंडिया न्यूज़), Navratri 2024: चैत्र नवरात्र मंगलवार से शुरू हो गए है, इस त्यौहार के साथ ही साधू संत माता दुर्गा की साधना करते है। यह समय साधना करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है और सिद्धियों की जल्द प्राप्ति होती है । इसी दौरान, एक साधक जगदीशानंद महाराज ने मध्य प्रदेश के खरगोन में जौ समाधि ली हैं ताकि वे सिद्धियों को प्राप्त कर सकें और समाज के कल्याण के लिए योगदान दे सकें।
साधू महाराज के पहले मुंबई में 2 शॉपिंग माल थे
जगदीशानंद महाराज, जो मूल रूप से गुजरात के हैं, लगभग 35 साल से साधना में लगे हैं। उन्होंने पहले मुंबई में दो शॉपिंग मॉल चलाए थे, और उनके पास एक समृद्ध परिवार भी था। लेकिन जब उन्हें भक्ति में लगाव महसूस हुआ, तो उन्होंने सब कुछ छोड़कर हिमालय की ओर अपने साधना का मार्ग चुना। उनके विवाहित होने के बावजूद, वे एक संन्यासी की भावना से जुड़े हुए हैं।
महराकज जी के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात में 6 आश्रम है। महाराज आश्रम बनाते है, फिर किसी साधू संत के हवाले छोर्ड आगे भढ़ जाते है। कुल मिलाकर उनके बनवाए हुए छह आश्रम हैं।
जगदीशानंद महाराज शरीर पर उगाते है जौं
जगदीशानंद महाराज अब खरगोन के बारहद्वारी क्षेत्र में एक नया आश्रम तैयार कर रहे हैं और उसी समय उन्होंने चैत्र नवरात्रि के अवसर पर जौ समाधि ली है। उनकी साधना में नौ दिनों तक वे भूमि के अंदर समाधि में रहेंगे, यह जौ समाधी उन्हें अपने आदर्शों की ओर अग्रसर करेगी।इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जौ का बोना धार्मिक मान्यताओं में बहुत महत्वपूर्ण है। साधक यह बोते हैं ताकि उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त हो सके। वह अपने शरीर के ऊपर जौं उगाते है, और खुदको इनसे ढककर रखते है। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर उनके आश्रम में एक नौ दिन का यज्ञ भी होगा, जिसमें उनके शिष्य और भक्त भोजन की आहुति देंगे ताकि उनकी साधना को सहारा मिले।
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