India News CG (इंडिया न्यूज), Shrilanka Mattala Airport : श्रीलंका के विवादित मटाला हवाई अड्डे की प्रबंधन जिम्मेदारी भारतीय और रूसी कंपनियों को सौंपे जाने से चीन को झटका लगा है। इस निर्णय से चीन को दिए गए लगभग 20 करोड़ डॉलर के ऋण के भुगतान पर भी संशय बना हुआ है।
चीन से लिया था ब्याज
मटाला राजपक्षे इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण चीन से लिए गए ब्याज वाले कर्ज से किया गया था। इस विवादित परियोजना पर कुल 20.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च किए गए, जिनमें से 19 करोड़ डॉलर की राशि चीन एग्जिम बैंक ने उच्च ब्याज दर पर दी थी। एक समय इसे “दुनिया का सबसे सुनसान हवाई अड्डा” कहा जाता था, क्योंकि यहां उड़ानों की संख्या बेहद कम रहती थी।
भारत को मिला कॉन्ट्रैक्ट
श्रीलंका सरकार ने हाल ही में संभावित पक्षों से इसके प्रबंधन के लिए रुचि पत्र आमंत्रित किए थे। प्राप्त 5 प्रस्तावों में से भारत की शौर्य एरोनॉटिक्स प्रा. लि. और रूस की एयरपोर्ट्स ऑफ रीजन्स मैनेजमेंट कंपनी को 30 साल के लिए इसके प्रबंधन का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है।
सिविल एविएशन मिनिस्टर बांदुला गुणवर्धने के अनुसार, “इस निर्णय से मटाला हवाई अड्डे को नई दिशा मिलेगी और इसे व्यावसायिक रूप से लाभकारी बनाने की कोशिश होगी।” उन्होंने कहा कि भारत और रूस से संबद्ध कंपनियां इसके बेहतर प्रबंधन और सुचारू परिचालन को सुनिश्चित करेंगी।
श्रीलंका कर रहा था व्यावसायिक पार्टनर्स की तलाश
वर्ष 2016 से श्रीलंका इस हवाई अड्डे के प्रबंधन के लिए वाणिज्यिक साझेदारों की तलाश कर रहा था, क्योंकि इससे उसे भारी नुकसान हो रहा था। इसके अलावा, यह हवाई अड्डा पर्यावरण की दृष्टि से भी संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है।
पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के शासनकाल में शुरू की गई इस आधारभूत परियोजना पर बेतहाशा खर्च होने के कारण कई विशेषज्ञों ने आलोचना की थी। उनका मानना था कि चीन द्वारा दिए गए उच्च ब्याज वाले ऋण से श्रीलंका को एक बार फिर कर्जदार बनाया गया है।
कितनी मिलेगी सफलता
अब देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय और रूसी कंपनियां इस हवाई अड्डे के प्रबंधन में किस हद तक सफल होंगी। क्या वे इसे व्यावसायिक रूप से लाभकारी बना पाएंगी और चीन को ब्याज सहित पूरी राशि का भुगतान करवा पाएंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से चीन की श्रीलंका पर पकड़ कम होगी।
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