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छत्तीसगढ़ की बाघिन ‘गौरी’ ने अपने 4 बच्चों को मार डाला, दम घुटने से मौत

• LAST UPDATED : May 15, 2024

India News CG ( इंडिया न्यूज),Chhattisgarh Tigress Gauri: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से 6 साल पहले झारखंड ले जाई गई बाघिन गौरी ने अपने चार शावकों को खुद ही दबाकर मार डाला। झारखंड के रांची स्थित बिरसा मुंडा ज़ूमें बाघिन गौरी के शावक उसके बेहद करीब चले गए थे। इसी बीच बाघिन अपने शावकों पर सो गई और दबने से चारों शावकों की जान चली गई।

प्रबंधन की नाक के नीचे गई जान

प्रबंधन को बाघिन गौरी की डिलीवरी की जानकारी थी। 10 मई की आधी रात को उसने चार शावकों को जन्म दिया। रात को सभी नवजात शावक अपनी माँ के बहुत करीब आ गये। मां के पलटते ही उसके बच्चे उसके नीचे दब गये और उनकी मौत हो गयी। जब प्रबंधन को इसकी जानकारी मिली तो वे हैरान रह गए और बाघिन को बच्चों से दूर हटा दिया गया। लेकिन तब तक तीन बच्चों की मौत हो चुकी थी और एक बच्चे की सांसें चल रही थीं। लेकिन कुछ समय बाद चौथे बच्चे की भी मौत हो गई।

चार दिन पहले ही हुआ था शावकों का जन्म

बिरसा चिड़ियाघर के चिकित्सक डॉ. ओपी साहू ने बताया कि बाघिन गौरी ने पहली बार बच्चों को जन्म दिया था। 10 मई की सुबह 2 बजे उसने अपने पहले शावक को जन्म दिया। फिर एक के बाद एक चार शावकों का जन्म हुआ और सभी बच्चे सामान्य और स्वस्थ थे। यहां तक कि एक बच्चे का वजन एक किलोग्राम था जबकि अन्य तीन का वजन 900 से 950 ग्राम के बीच था। सामान्यतः माँ अपने बच्चे की देखभाल स्वयं करती है। बाहरी सहयोग केवल कठिन परिस्थितियों में ही दिया जाता है। 11 मई के पूरे दिन तक सब कुछ सामान्य था। चूंकि बाघ शावक की आंखें जन्म के 15वें दिन खुलती हैं। ऐसे में इन दिनों तक मां खुद देखभाल करती है और दूध पिलाती है।

इंटरनल हेंम्रेजेज होने की वजह से हुई शावकों की मौत

गौरी ने पहली बार शावकों को जन्म दिया था और 11 मई की रात बाघिन अपने शावकों पर लेट गई. जिससे दम घुटने से उसकी मौत हो गई। सूचना मिली तो एक बच्चे को बचा लिया गया. उसे दूध पिलाने की कोशिश की गई लेकिन आंतरिक रक्तस्राव के कारण उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम के बाद 12 मई को चिड़ियाघर के अंदर श्मशान में शवों को जला दिया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दम घुटने से मौत की बात सामने आई है।

6 साल पहले छत्तीसगढ़ से गई थी रांची

6 साल पहले 2018 में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर चिड़ियाघर से लाया गया था। बिरसा जू में बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी की पहल के तहत इसे लाया गया था। वह पहली बार गर्भवती हुई थी। उसने पूरे 105 दिन के गर्भावस्था के पीरियड को पूरा करने के बाद बच्चों को जन्म दिया था।

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