India News CG (इंडिया न्यूज), Vishnu Puran: हिंदू धर्म में कुल चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग) का वर्णन किया गया है। भगवान विष्णु ने हर युग में अलग-अलग अवतार में जन्म लिया। पुराणों के अनुसार कलियुग में भी भगवान विष्णु कल्कि अवतार में जन्म लेंगे, जो उनका दसवां अवतार होगा। कलियुग को सबसे छोटा काल माना जाता है।
कलियुग के संबंध में धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में कहा गया है कि इस युग में पाप अपने चरम पर होगा, जिससे सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा। लेकिन इसके बावजूद विष्णु पुराण में कलियुग को सभी युगों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। आइये जानते हैं ऐसा क्यों।
कलियुग के सर्वश्रेष्ठ होने का कारण जानने से पहले हम आपको बता दें कि हिंदू धर्म में कुल 18 पुराण हैं, जिनमें से विष्णु पुराण भी एक है। हालाँकि, अन्य पुराणों में विष्णु पुराण सबसे छोटा है और इसमें केवल 7 हजार श्लोक और 6 अध्याय हैं। विष्णु पुराण की रचना महर्षि वेद व्यास के पिता पराशर ऋषि ने की है।
एक बार देवताओं ने ऋषि पराशर से पूछा कि सभी युगों में सबसे श्रेष्ठ और श्रेष्ठ युग कौन सा है। तब पराशर ऋषि ने वेद व्यास के कथनों का उल्लेख करते हुए कहा कि कलियुग सभी युगों में सर्वश्रेष्ठ है। आपको बता दें कि वेद व्यास जी को वेदों का रचयिता माना जाता है। लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि जब धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि कलियुग काल में सबसे ज्यादा पाप और अत्याचार होंगे तो फिर यह युग सर्वश्रेष्ठ कैसे हो गया?
विष्णु पुराण में वर्णित एक प्रसंग के अनुसार वेदव्यास जी ऋषि-मुनियों से चर्चा करते हुए कहते हैं कि कलियुग काल सर्वोत्तम है। इसका कारण यह है कि निःस्वार्थ भाव से जप, तप, यज्ञ, होम तथा व्रत आदि करने से जो पुण्य फल सत्ययुग में दस वर्ष में प्राप्त होता है, वही फल त्रेता में एक वर्ष में, द्वापर में एक माह में तथा कलिकाल में प्राप्त होता है। यानी कलियुग। सिर्फ एक दिन में हासिल किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कलियुग को यह वरदान मिला हुआ है कि इस युग में श्रीहिर का नाम जपने मात्र से ही मनुष्य का कल्याण हो जाएगा। उन्हें मुक्ति पाने के लिए किसी अन्य साधन की आवश्यकता नहीं होगी। अतः कलियुग ही सर्वोत्तम है। इस प्रकार महर्षि वेदव्यासजी ने ऋषियों में कलियुग की श्रेष्ठता सिद्ध की।
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