India News(इंडिया न्यूज),Bastar The Naxal Story,Deepak Vishwakarma: प्राकृतिक संपदाओं से लबरेज़ पौने तीन करोड़ की आबादी का एक प्रदेश छत्तीसगढ़ जो आठ राज्यो की सीमाओ से घिरा है। राजधानी रायपुर के अलावा जिसकी एक और पहचान है बस्तर जिसको नक्सलगढ़ भी कहा जाता है। उस पर अब एक फ़िल्म बनी है, जो जल्द पब्लिक के सामने होगी।
अदा शर्मा स्टारर “बस्तर द नक्सल स्टोरी” उनकी गहन अनुभवों और अद्वितीय परिप्रेक्ष्य से बस्तर क्षेत्र में नक्सलवादी संगठनों की गतिविधियों को विस्तार से दर्शाती है। जो 15 मार्च को सिनेमाघरों में दस्तक देगी। इस फ़िल्म में, उन्होंने अपने अनुभवों के माध्यम से बस्तर के जीवन, संस्कृति, और नक्सलवाद के पृष्ठभूमि को दर्शाया है। इसलिए, यह फ़िल्म सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक मुद्दों पर चर्चा में है। छत्तीसगढ़ के परिपेक्ष्य में बस्तर या यू कहे नक्सलगढ़ जिसके नाम से ही सिरहन पैदा होने लगती है।
बस्तर में नक्सलवाद की गतिविधियाँ प्रमुखतः व्यापक हैं। यहाँ के कुछ क्षेत्र नक्सलवाद के प्रभाव में हैं और सुरक्षाबलों और सरकारी नक्सल प्रतिरोध बलों के बीच संघर्ष चल रहा है। इस क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक, और राजनीतिक संघर्ष के कई पहलू हैं। इस फिल्म में नक्सलवाद के खिलाफ मैदानी जंग देखने को मिलेगी। अभिनेत्री अदा शर्मा IPS अधिकारी के रूप में नजर आएंगी। नक्सलवाद के सच्ची घटनाओं पर आधारित इस फिल्म में छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद और जवानों के बीच संघर्ष को रियल से रील पर उकेरा गया है।
दीपक शर्मा की खबर के अनुसार, बस्तर में 76 शहीद सीआरपीएफ जवानों की हत्या हो चुकी है। झीरम घाटी हमला, कभी 10 जवान, कभी 4 कभी 5 और तो और जेएनयू में जवानों की मौत का जश्न सहित नक्सलवाद से जुड़ी कई किस्से ट्रेलर में दिखाई दिए। नक्सली इलाकों में ग्रामीणों के दर्द भी यह फिल्म बयां कर रही। बस्तर में हमारे जवान और लोकर पुलिस की शहादत आम सी बात हो गई है, छोटे से छोटी और बड़े से बड़ी घटना कब हो जाए आप कल्पना भी नहीं कर सकते। इस खबर को लिखते समय भी यदि कोई घटना हुई हो और हमारे जवान घायल हुए हो तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यही बस्तर है। जिस बस्तर को पर्दे पर उकेरने का प्रयास किया गया है।
ट्रेलर लांच के दौरान फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने बताया कि 15 साल के गहन रिसर्च के बाद फिल्म की कहानी तैयार की गई है, जिसमें 2007 से 2013 तक बस्तर क्षेत्र में नक्सली खूनी संघर्ष और उनकी गतिविधियों को दिखाया गया है। फिल्म में केंद्र बिंदु छत्तीसगढ़ का बस्तर है, जानकार कहते है सलवा जुडूम नक्सलवाद को खत्म करने की अच्छी पहल थी, लेकिन उसमें भी माओवादियों ने अपना आतंक दिखाया। बस्तर में नक्सल की शुरुआत से लेकर अब तक की कहानी को फिल्म में दिखाने की कौशिश की गई है।
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