इंडिया न्यूज़, छत्तीसगढ़ : World Badminton Championship 2022: बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में मां-बेटे की अनोखी जोड़ी खेलते नजर आई, जो की टोक्यो में खेली जा रही है। प्रतियोगिता में मिस्र और इजरायल के बीच मिश्रित युगल मुकाबला खेला गया। इस मुकाबले में 64 साल की मां स्वेतलाना अपने 33 साल के बेटे मीसा के साथ इजरायल की ओर से मिश्रित युगल मुकाबला खेल रही थीं। इन दोनों की जोड़ी ने अपने पहले ही मुकाबले में मिस्र के अदम हतेम एल्गामल और दोहा की टीम को 2-1 से हराकर बैडमिंटन की दुनिया में एक बार फिर अपना लोहा मनवाया है।
ऐसा करने के बाद स्वेतलाना जिल्बरमैन बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में मैच जीतने वाली दुनिया की सबसे ज्यादा उम्र की बैडमिंटन खिलाड़ी बन गई हैं। स्वेतलाना से पहले बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में जो बड़ी उम्र का खिलाडी था। उनकी उम्र भी स्वेतलाना से 21 साल कम है।
स्वेतलाना ने कहा कि अगले साल कोपेनहेगन में होने वाले टूर्नामेंट में हिस्सा लेना चाहती है और अपना बनाया बैडमिंटन रिकॉर्ड स्वेतलाना इस टूर्नामेंट में इस बार से भी बेहतर करना चाहेंगी। इसके बाद स्वेतलाना का सपना अपने बेटे के साथ ओलिंपिक खेलने का है। स्वेतलाना अपने बेटे की कोच भी हैं। लेकिन, जब उनके बेटे को टूर्नामेंट खेलने के लिए कोई पार्टनर नहीं मिला तो स्वेतलाना खुद अपने बेटे के साथ बैडमिंटन कोर्ट में उतर गईं।
जब स्वेतलाना 25 साल की थीं तब सोवियत यूनियन ने उन्हें बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए खेलने का मौका नहीं दिया था। जिसके बाद वे अपने परिवार के साथ सोवियत यूनियन को छोड़कर इजराइल चली गई थी। अब उन्होंने करीब 4 दशक के बाद बैडमिंटन जगत में वापसी की और बैडमिंटन प्रतियोगिता जीतने वाली सबसे बड़ी उम्र की खिलाडी का ख़िताब भी हासिल किया। स्वेतलाना ने बताया की उन्होंने कभी बैडमिंटन खेलना नहीं छोड़ा था। वे रोज अपने बेटे क साथ बैडमिंटन की 4 घंटे प्रैक्टिस भी करती हैं।
मीसा ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, मैं 30 साल की उम्र में बैडमिंटन करियर से रिटायरमेंट के बारे में सोच रहा था। लेकिन फिर मुझे मेरी माँ का ख्याल आया। मेरी मां मेरी प्रेरणा हैं। वे 64 साल की हो कर भी अभी भी खेल रही हैं। शायद मैं भी उनकी तरह ही कभी रिटायर नहीं होऊंगा।
मीसा कहते हैं, बैडमिंटन कोर्ट में खेलते समय उनका संबंध मेरे साथ दूसरे मिश्रित युगल खिलाड़ियों जैसा ही होता है। वे सिर्फ अपना और खेल बेहतर करने और मुकाबले को जीतने पर ही बात करते हैं। मीसा कहते हैं, हम मुकाबले के परिणाम की जगह खेल पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। जब हम दोनों मिश्रित युगल मुकाबले के पहले मैच में जीते तो वह अनुभव काफी शानदार था।
मां-बेटे की इस जोड़ी ने इससे पहले भी अपने शानदार प्रदर्शन से सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था। बात साल 2009 की है जब इस जोड़ी ने हैदराबाद में हुए बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में कमाल का खेल दिखते हुए खूब तारीफें बटोरी थीं। उस समय स्वेतलाना 51 वर्ष की थीं तो वहीं उनका बेटा मीसा 20 साल का था। बेलारूस में पैदा हुई स्वेतलाना साल 1986 में खेली गई यूरोपियन चैंपियनशिप में वुमन सिंगल्स में भी कांस्य पदक जीतने में सफल रही थीं।
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