India News(इंडिया न्यूज़), Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ को भगवान श्री राम की ननिहाल बताया जाता है। माना जाता है कि रामायण की कई महत्वपूर्ण घटनाएं यहीं घटित हुई थीं। रामायण में दर्शाए गए दंडकारण्य वनों के क्षेत्र छत्तीसगढ़ के ही वनों को माना जाता है। बस्तर के जंगलों में एक पेड़ है जिसको श्री राम का नाम दिया गया है। उसके अलावा उसके आस पास सौगान के 3 और पेड़ हैं जिन्हे लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के नाम से जाना जाता है।
दरअसल माचकोट एरिया के घने जंगल में इस रेंज के सबसे विशालकाय सागौन टिक के पेड़ों को वन विभाग ने राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का नाम दिया हुआ है। ये पेड़ सिर्फ 20 मीटर के दायरे में एक सीधी कतार में खड़े हुए हैं। जिन्हे देखकर ऐसा लगता है मानो त्रेतायुग के ये चारों भाई एक साथ खड़े हैं। इसमें सबसे ऊंचे सागौन का पेड़ जिसकी ऊंचाई 389 मीटर व तने की गोलाई 352 सेंटीमीटर है।
आसपास के लोगों का मानना है कि, भगवान श्री राम का इस दंडकारण्य जंगल से गहरा संबंध रहा है। जिस वजह से इन पेड़ों की उम्र के आधार पर इनका नाम राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न रखा गया है। इसके अलावा ये भी सुनने को आया है कि कुछ गांव वाले सालों पहले सागौन के इस पुराने पेड़ों को काटने पहुंचे थे। लेकिन जैसे ही उन्होने कुल्हाड़ी चलाई, इन पेड़ों से इंसानी आवाजें आई ,जिसे सुनकर सब लोग डर गए। तब से इन्हें देव पेड़ मानकर गांव वाले इन पेड़ों की पूजा करते हैं। उस हादसे के बाद दोबारा फिर किसी ने कभी इन पेड़ों को काटने की कोशिश नहीं की।
रामायण काल के दौरान दंडकारण्य, रावण के साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। श्री राम वनवास के दौरान यहां भी आए थे। पंचवटी भी इसी स्थान के आसपास है। रामायण के अनुसार दंडकारण्य बहुत से राक्षसों, असुरों और खतरनाक जानवरों का निवास करते थे।
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