India News CG (इंडिया न्यूज), CG News: संरक्षित वन भैंसों की देखभाल और रखरखाव पर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, बारनवापारा अभ्यारण्य में मौजूद 6 वन भैंसों के चारे और अन्य व्यवस्थाओं पर एक साल में लगभग 40 लाख रुपये खर्च किए गए हैं।
जनता की कमाई का पैसा
विवादों से घिरे इस मुद्दे पर आरटीआई कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने सवाल उठाते हुए कहा कि वन विभाग ने इन वन भैंसों को असम से लाने और उनकी देखभाल पर जनता की कमाई का करोड़ों रुपया बेफिक्र तरीके से खर्च किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में केवल एक ही बूढ़ा नर वन भैंसा ‘छोटू’ बचा है, जिससे वंशवृद्धि संभव नहीं है।
भैंसों के लिए बजट
आंकड़े बताते हैं कि वन विभाग ने वन भैंसों के भोजन, चारा, दवाइयों और रखरखाव पर वित्त वर्ष 2023-24 में 40 लाख रुपये का बजट आवंटित किया है। इसके अलावा, वर्ष 2019-20 में वन भैंसों के लिए पेयजल व्यवस्था हेतु 4.59 लाख रुपये खर्च किए गए। वहीं, बारनवापारा अभ्यारण्य में वन भैंसों के लिए बाड़ा निर्माण पर 15 लाख रुपये और उनके परिवहन आदि पर 58 लाख रुपये खर्च किए गए।
धन राशि की पूरी जानकारी नहीं मिली (CG News)
सिंघवी का आरोप है कि वन विभाग के पास खर्च की गई राशि की पूरी जानकारी तक नहीं है। उन्होंने वन विभाग से वन भैंसों पर अब तक कुल कितने करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, इसकी जानकारी जनता को देने की मांग की है। सवाल यह है कि क्या इतने खर्च के बावजूद वन भैंसों की देखभाल और संरक्षण का उद्देश्य पूरा हो रहा है?
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