इंडिया न्यूज़, Bilaspur News: आदिवासी समाज अपनी अनोखी परंपरा संस्कृति के लिए पुरे संसार में जाना जाता है। प्रदेश के बस्तर जिले के लोगों के रीति-रिवाज और रहन-सहन से लेकर पूजा-पाठ तक के तरिके भी अलग है। बस्तर निवासियों की सभी धार्मिक या सामाजिक परंपरा देवी-देवताओं के साथ ही होती है। विश्व आदिवासी दिवस की धूम मंगलवार को दिखी।
इसी की एक झलक कल बिलासपुर में देखने को मिली है। इसका आयोजन सुबह के समय आराध्य देवों की शोभायात्रा से शुरू करके किया गया। यह आयोजन में पूरा दिन काफी संख्या में लोग शामिल हुए, आयोजन शाम तक चला। इस आयोजन में आदिवासी पंरपरा और लोक नृत्यों की झलक देखने को मिली। बता दें की कल विश्व आदिवासी दिवस था। इसके अलाव लोग कर्मा भद्री, ददरिया, गौरा, जैसे लोकनृत्यों पर भी झूमते दिखे जिससे सब आकर्षित हुए।
इस मौके पर गोंडवाना महासभा के बैनर तले के आयोजन में भी काफी संख्या में भीड़ दिखी। इसी के चलते जरहाभाठा मंदिर चौक पर पोस्ट मैट्रिक हॉस्टल से आराध्य देव की शोभायात्रा निकलोई गई। उन्होंने अपने देव की आरती भी उतारी। महादेव, बस्तर के ईष्ट देव आंगा देव,गौरी-गौरा, और काली की पूजा की गई। लोगों ने डीजे की धुन पर खूब लोकनृत्य भी किया। इसी के चलते शोभायात्रा सुबह से शुरू होकर दोपहर 1:30 बजे के आस-पास साइंस कॉलेज के मैदान में पहुंची।
साइंस कॉलेज के मैदान में पहुंचने के उपरांत बस्तर से लेकर आए देवी देवताओं की स्थापना करने के उपरांत पूजा भी की। इस दौरान अधिवासियों ने प्रकृति की भी पूजा की। इसी के चलते पेड़ पौधे के सामने नमस्तक हुए और जल जंगल जमीन को बचने का संकल्प भी लिया। इस पूजा के चलते लोगों ने अपने बच्चों को भी साथ रखा ताकि वे अपनी संस्कृति को हमेशा याद रखें। कर्यक्रम के चलते समाज के पदाधिकारियों ने कहा की शिक्षा से बड़ा कोई धन नहीं शिक्षा से हमेशा जुड़े रहे। आगे बढ़ने का यही एक सहारा है। इस मौके पर देश के और भी कई राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
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