इंडिया न्यूज़, Festival Bastar Dussehra: प्रदेश के बस्तर में करीब 75 दिन तक बस्तर दशहरा चलता है। इस दशहरे में रथ निर्माण की परंपरा करीब 600 साल से भी ज्यादा पुरानी है (600 years old tradition)। हालांकि अभी कुछ समय पहले ही प्रदेश के जगदलपुर में सिरहासार भवन में डेरी गड़ाई की रस्म की गई थी।
(Victory Chariot of Bastar Dussehra) बता दें कि रथ बनाने के लिए साल और तिनसा की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। इस बार 8 पहिये वाले रथ को बनाने के लिए करीब 240 पेड़ो की लकड़ियों का प्रयोग किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक इस रथ को बनाने के लिए करीब 150 कारीगर लगेगें ।
जानकारी के मुताबिक एक साल 4 पहिये का रथ तैयार किया जाता जबकि दूसरी बार 8 पहिये का रथ तैयार किया जाता है। हालांकि अबकी बार 8 पहिये का रथ तैयार किया जाएगा (Victory Chariot of Bastar Dussehra)। इस रथ को विजय रथ के नाम से जाना जाता है। यह रथ को विजय लक्ष्मी वाले दिन को मिलकर आगामी 2 दिन के लिए खींचा जाता है। कहा जा रहा है कि इस बार रथ का निर्माण झारउमर गांव के कारीगर द्वारा किया जाएगा। इस रथ में करीब 54 घन मीटर लकड़ी का प्रयोग किया जाएगा। जो दशहरा समिति मुफ्त में यह लकड़ियां उपलब्ध करवाएगी।
उस समय जब राजा पुरुषोत्तम देव का राज था तो चक्रकोट एक स्वतंत्र राज्य था , और इसकी राजधानी बड़े डोंगर थी। राजा भगवान जगन्नाथ के भक्त थे। इतिहास के मुताबिक 1408 के उपरांत राजा ने पदयात्रा शुरू की थी। जिसके चलते उन्हें रथपति की उपाधि दी गई थी। इस उपाधि में उन्हें 16 पहिए रथ दिया गया था।
(600 years old tradition) हालांकि इस रथ को उस समय किसी भी सड़क पर चलना संभव नहीं था। क्योंकि सड़के इतनी अच्छी नहीं थी, जिसके चलते रथ को तीन हिस्सों में बांट दिया गया। चार पहियों वाला रथ भगवान जगन्नाथ के लिए होता है। जबकि दशहरे के लिए दो रथ बनाए जाते है, इनमें एक रथ 8 पहिये का होता है जिसे विजय रथ कहा जाता है। बस्तर दशहरा 75 दिन तक चलता है जिसमें कई रस्में निभाई जाती है।
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