इंंडिया न्यूज़,सतना।
Tribals’ Wish Fulfilled in Satna मध्य प्रदेश(madhya pardesh) का एक गांव रामनगर खोखला(Ramnagar Khokla) जो कि आदिवासी बहुल क्षेत्र है। यहां रहने वाले आदिवासियों का जीवन दशको से नरक बना हुआ था। क्योंकि यहां रहने वाले परिवारों के पास आज तक पीने योग्य पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। यह सभी लोग दल्लन के जंगलों में बनी बावड़ी पर ही आश्रित थे। लेकिन अब मझगवां ब्लॉक (Majhgawan Block)के इस गांव में भी पीने योग्य पानी मुहैया करवा दिया गया है। हालांकि पहले भी यहां नलकूप लगाने का प्रयास किया गया था। लेकिन इलाके मेंं भू-जल स्तर इतना नीचे है कि कई प्रयासों के बाद भी कोशिश सफल नहीं हो पाई। लेकिन अब नलकूप लगने से गांव वासियों में खुशी की लहर है।
Read More: Unemployment Hit in Madhya Pradesh रोजगार दिवस पर कमलनाथ ने उठाए शिवराज सरकार पर सवाल
बावड़ी पर आश्रित थे 200 परिवार
रामनगर खोखला समेत पड़ो और टिकुरी टोला गांव के निवासी भी दल्लन बीहड़ में बने छोटे से तालाब पर ही निर्भर थे। करीब 200 लोगों की प्यास सदियों से यही तालाब बुझाता आया है। लेकिन अब आदिवासियो को बावड़ी पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। क्योंकि अब रामनगर खोखला गांव में नलकूप लग गया है।
जानकारी के लिए बता दें कि जिस जगह से यह लोग पानी भरकर लेकर आते थे वह इनके गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर है। लेकिन आज तक प्रशासन यहां पानी की व्यवस्था करने में नाकाम रहा है। आदिवासी समुदाय के लोग बताते हैं कि हमारी तो पीढ़ियां ही बीत गई साफ पानी की राह देखते देखते लेकिन साफ पानी केवल सपनों में ही दिखाई देता था। लेकिन अब गांव में नलकूप लगा गया है। इसके लिए हम सरकार का शुक्रिया कहते हैं।