इंडिया न्यूज़, भोपाल:
The Feat of Bhopal AIIMS भोपाल का एम्स अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में आता जा रहा है। मामला 2017 से 2021 के बीच का है जब एक 10 साल की बच्ची को एचआईवी संक्रमित(10-year-old girl was transfused with HIV-infected blood) खून चढ़ा दिया गया था उसके बाद मासूम की मौत हो गई थी। इसी प्रकार एक अन्य मामले में भी गलत ब्लड चढ़ने से व्यक्ति अपनी जान से हाथ धो बैठा था। वहीं तीसरे मामले में एक व्यक्ति ने अपने खून की जांच एम्स से करवा तो ली लेकिन उसे रिपोर्ट नहीं दी गई और न ही व्यक्ति को बताया गया कि वह एड्स से पीड़ित है। जिसका नतीजा यह हुआ कि उसकी पत्नी भी संक्रमित हो गई। इन तीनों मामलों की शिकायत एम्स प्रबंधन(AIIMS Management) को की गई थी। लेकिन खानापूर्ति करते हुए लैब के इंचार्ज को वहां से बदल दिया गया।
लापरवाही पर लिया संज्ञान
एम्स अस्पताल में बरती गई लापरवाही पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry and State AIDS Control Society)और स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी को शिकायतकर्ताओं ने बताया कि किस प्रकार भोपाल एम्स मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है। उसके बाद दोनों एजेंसियों ने गत वर्ष दिसंबर में तीनों शिकायत भेजते हुए रिपोर्ट तलब की थी। लेकिन इस बात को भी तीन माह होने को आए हैं लेकिन एम्स अस्पताल की ओर से अभी तक रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। सूत्रों का कहना है कि एम्स मामले को दबाने का प्रयास कर रहा है।
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एम्स प्रबंधन ने इस बात को माना है कि केन्द्रीय एजेंसी एवं स्टेट फूड एंड ड्रग्स विभाग की संयुक्त टीम ने ब्लड बैंक की छानबीन की थी। जिसमें पाया गया था कि सही में ब्लड बैंक में सब कुछ सही नहीं है। इसीलिए हमने ब्लड बैंक विभाग के इंचार्ज को हटा दिया है। हमने शिकायत मिलने के बाद कमेटी बना दी गई थी। कमेटी में आंतरिक और बाहरी सदस्यों को रखा गया है। रिपोर्ट का इंतजार है। लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसी अभी भी एम्स की फाइनल रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।