इंडिया न्यूज़, Raipur News: 5 वर्ष से किसानों को पानी देने के लिए प्रदेश में एमओयू का नवीनीकरण जारी। इसके लिए अमीन कार्य कर रहे हैं। प्रदेश में इस वर्ष बारिश कम होने के कारण कई फैसले सुख रही हैं, जिसके चलते किसानों ने सरकार से पानी की मांग की थी। हालांकि सरकार इस मांग को स्वीकार करते हुए 15 अगस्त से पानी देने की प्रक्रिया शुरू कर रही हैं।
जानकारी के मुताबिक कम वर्षा के चलते अमीन गावों में सभा भी करते हैं। अगर किसी गांव के खेतों में पानी देना होता हैं तो उस गांव के करीब 70 प्रतिशत से भी ज्यादा किसानों का पानी लेने के लिए तैयार होना जरूरी हैं। जिसका जायजा लेने के बाद ही खेतों में पानी पहुंचने के लिए लेज़र लगाए जाते हैं।
जानकारी के मुताबिक जिस प्रकार बिजली का बिल आता हैं उसकी रीडिंग लेकर बिल तैयार किया जाता हैं। उसी तरह ही अमीन भी हर खेत में जाकर इस बात की जांच करते हैं कि किस किसान ने कितने एकड़ में पानी दिया हैं। इसी आंकलन के अनुसार ही फिर हर किसान से बिल लिया जाता हैं। बता दें कि अमीनों को भी अलग-अलग एरिया दिए जाते हैं कि किस एरिया की निगरानी किस अमीन ने रखनी हैं। इसके तहत वह डैम पर भी निगरानी रखते हैं। जानकारी के अनुसार प्रदेश के हिसाब से अमीनों की संख्या पर्याप्त नहीं हैं।
जानकारी के मुताबिक अभी छत्तीसगढ़ में करीब 35 लाख से भी ज्यादा किसान हैं। जिनके खेतों में सिंचाई का जायजा लेने के लिए करीब 350 ही अमीन हैं। हालांकि राज्य में 700 से भी अधिक अमीन रखने की अनुमती हैं। बता दें कि अगर बालोद की बात करें तो यहां केवल 4 अमीन ही हैं, लेकिन जरूरत की हिसाब से यहां 12 से भी अधिक अमीन होने चाहिए। जब से प्रदेश मध्य प्रदेश से अलग हुआ हैं तभी से लेकर यहां अमीन कम हैं। एक जिले में एक से अधिक भी डिवीजन हैं।
बता दें कि इनमें रबी फसल का ब्यौरा 31 मार्च तक एवं खरीफ की फसल का रिकॉर्ड अक्टूबर तक देना होता हैं। जिसके चलते अमीनों की कमी बताई जा रही हैं। अमीनों के अनुसार अगर सही ब्यौरा खेतों में दिए गए पानी का रखना है, तो इसके लिए करीब 2000 अमीन होने जरूरी हैं। जिससे कई बंद हुई पानी की योजनाओं को फिर से चलाया जा सकता हैं। जर्जर नहरों को भी फिर से चलाया जा सकता हैं। जिससे प्रदेश के हर किसान को फसल के लिए पानी मिल सकेगा।
यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ की राज्यपाल ने प्रधानमंत्री को बांधी राखी, स्केच समेत कई उपहार किए भेंट