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छत्तीसगढ़ में मंकीपॉक्स के संदिग्ध छात्र की रिपोर्ट आई निगेटिव, हॉस्पिटल से मिली छुट्टी

• LAST UPDATED : July 31, 2022

इंडिया न्यूज़, Raipur News: छत्तीसगढ़ में कुछ दिन पहले एक छात्र में मंकिपॉक्स के लक्षण पाए गए थे। जिसके चलते उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया। मंकिपॉक्स की जांच के लिए रिपोर्ट पुणे भेजी गई थी। कल ही जांच रिपोर्ट निगेटिव आने से जानकारी मिली है कि वह साधारण चमड़ी रोग था, मंकीपॉक्स नहीं। इसी के चलते छात्र के शरीर से लाल दाग भी कम हो गए है। छात्र को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। बता दें कि यह बच्चे की आयु 13 वर्ष है। बच्चे को 26 जुलाई को चमड़ी रोग के चलते डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल रायपुर में भर्ती करवाया गया था।

मरीज की जांच NIV पूणे से करवाई : टीएस सिंहदेव

जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि जैसे ही बच्चा मंकीपॉक्स का संदिग्ध होने की सुचना मिली, तो छात्र की रिपोर्ट जांच के लिए नेशनल इंस्टीयूट ऑफ वॉयरोलॉजी पूणे में भेजी गई। हालांकि दो दिन बाद शनिवार को जांच रिपोर्ट आने से पता चला की बच्चे को मंकीपॉक्स जैसा कोई वायरस नहीं है। लेकिन छात्र के शरीर पर निशान देखकर ऐसे ही लग रहा था, कि यह मंकीपॉक्स के लक्षण है। हालांकि बच्चे के इलाज के बाद अब पूरी तरह से ठीक होने पर बच्चे को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई है। लेकिन ऐसे कोई भी लक्षण मिलने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

मंकीपॉक्स संदिग्ध समझकर छात्र को भेजा डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल

जानकारी के अनुसार बच्चा कांकेर के जैतूसाव मठ छात्रवास का निवासी था। शरीर पर लाल दाने दिखने के कारण उसे जिले के हॉस्पिटल में भेजा गया था। लेकिन एक दिन बाद पर मंकीपॉक्स के लक्षण की भनक लगने पर छात्र को जिले के अस्पताल से 26 जुलाई को डॉ. भीमराव आम्बेडकर मेडिकल कॉलेज भेजा गया। जिसके चलते मरीज की जांच के लिए सैंपल पूणे में NIV भेजा। जिसकी कल ही रिपोर्ट आने पर पता चला की बचे को मंकीपॉक्स नहीं अन्य सधारण रोग है।

बच्चे को थी खुजली जैसी बीमारी

डॉक्टरों से मिली जानकारी के मुताबिक बच्चे को साधारण स्किन का इन्फ्रेक्शन ही था। जिससे खुजली होने के साथ ही लाला निशान भी बन गए थे। हालांकि रिपोर्ट के बाद बच्चा निगेटिव ही पाया गया। लेकिन संदिग्ध होने के कारण पुरे गांव की जांच की जा रही थी जिससे पुरे गांव में हड़कम मच गया था।

1970 में मंकीपॉक्स पहला मामला मिला

जानकारी के अनुसार मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में कांगो में मिला था। यह एक 9 वर्ष के बच्चे को हुआ था। उसके बाद से लेकर कई अफ़्रीकी देशो में यह पाया जा चूका है। कहा जाता है, कि इसके लिए कई जानवर जातीय जिम्मेवार है जैसे गिलहरी, गैम्बिया, डर्मिस, बंदर आदि।

यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ में अपराधियों की बनाई क्रिमिनल गैलरी, 150 अपराधियों की लगाई फोटो

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