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रायपुर में इको फ्रेंडली राखियां का ट्रेंड, विभिन बीज से तैयार राखी

• LAST UPDATED : August 9, 2022

इंडिया न्यूज़, Raipur News :  रायपुर में  भाई बहन के त्यौहार रक्षा बंधन के लिए इको  फ्रेंडली राखियां तैयार की जा रही हैं। राज्य में सभी लोग इस अनोखी राखी को ख़रीदने के लिए पहुंचे है। राखी  सभी के मन को भा रही है। रक्षा बंधन के बाद इस राखी को गमले में लगा सकते है। विभिन्न बीजो से तैयार की गई है। जिला प्रशासन इन राखियों को तैयार करने वाली महिला की मदद के लिए आगे आई है।

राखी में विभिन्न पौधों के बीजों 

इन रखियो का निर्माण धरसीवां विकासखंड के तहत ग्राम पंचायत सेरीखेड़ी में महिला द्वारा तैयार किया जा रहा है। जिसमे खास बात ये है, की इन रखियो को अनेको पौधों के बीजों से तैयार किया गया है। त्योहार के बाद भाई इन रखियो को निकाल कर किसी गमले में लगा सकते है। इस बीज से निकलने वाले पड़े भाई बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

इस राखी की मदद से हम पर्यावर में ख़ुशीहाली ला सकते  है। बीजो को गमले में लगाने से इनसे निकलने वाले पौधों से हम अपने घरो को सजा सकते है। इन अनोखी रखियो को  बिहान योजना के आजीविका केन्द्र कल्पतरू मल्टी यूटिलिटी सेंटर में समूह से जुड़ी महिलाएं बना रही हैं।

बीजो के साथ ही धन ,बांस से  अनेक वस्तुएं तैयार

Raipur News, Trend of Eco Friendly Rakhis in Raipur

मल्टी यूटिलिटी सेंटर  की महिला ने बताया कि हमारे यहाँ बीजों से बानी राखी और बांस ,गोबर, धान की बालियों को तैयार किया जाता है। भाई बहन के इस त्योहर पर सबसे ज्यादा बीज से बानी राखी को खरीदा जा रहा है। अभी तक 1000 से ज्यादा राखियां बिक चुकी है।  लोग कि डिमांड बढ़ने से हमने और भी राखी बना शुरू किया है।

सस्ती और लाभ दायक राखी

मल्टी यूटिलिटी सेंटर के किशोर कुमार ने बताया कि महिलाओं को काम देने के लिए कम कीमत पर राखी के लिए सामान को खरीदना था।
जिसके लिए हमने बीजों से राखी बना शुरू किया। जिसे अच्छी कीमत माइन लगाई। राखी को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इसे बांधने के बाद फेंका नहीं जाता। इस राखी को किसी गमले में डाल कर पौधे के रूप में बदल जाएगी।  राखियों में धनिया, तोरई, कद्दू, धान, धनिया जैसे बीजों को डाला गया है। जिसे हम अपने बगीचे और गमलो में लगा सकते है।

बेरोजगार महिला को मिला काम

Raipur News, Trend of Eco Friendly Rakhis in Raipur

घर पर रहकर इस काम को किया जा सकता है। सेरीखेड़ी गांव की 30 से ज्यादा महिलाएं इन राखियों को बनती है। रखियो को अच्छी  कीमत पर खरीदा जाने लगा, जिससे इनकी डिमांड बढ़ने से इन्हें अच्छी आमदनी भी हो रही है। इस राखी को तैयार करने वाली महिलाएं हर दिन 300 से 500 रुपए कमा रही हैं।

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