इंडिया न्यूज़, Chhattisgarh News: UGC के अनुसार हर 25 बच्चों पर एक अध्यापक होना जरुरी है। जबकि प्रदेश के कबीरधाम जिले में 9 कॉलेज में लगभग 130 विद्यार्थियों पर एक अध्यापक है। जो स्थिति बहुत ही दुर्दशा जनक है। इससे छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही। बता दें की अभी जिले के कॉलेज में करीब 8,000 से भी ज्यादा छात्र शिक्षा ले रहे है। (Only 61 teachers government college) कॉलेज में पढ़ने के लिए केवल 61 अध्यापक ही है। जबकि 58 प्रतिशत अद्यापक के पद अभी भी खाली ही पड़े है। इसमें लगभग 80 से भी ज्यादा अध्यापकों की भर्ती हो सकती है।
(Guest Teachers) कॉलेज में हालत इतने खराब हो चुके है कि कुछ विषय तो ऐसे है जिनमें कई सालों से अध्यापकों की भर्ती नहीं हुई है। इनमें बॉटनी (वनस्पति शास्त्र), जूलाॅजी (प्राणी विज्ञान), केमेस्ट्री (रसायन शास्त्र), गणित के अलावा कई और भी ऐसे विषय है। जिसमें अध्यापकों की भर्ती नहीं हुई है।
(Only 61 teachers government college) अतिथि शिक्षकों के भरोसे पर ही इनमें पढाई करवाई जा रही है। (Guest Teachers) इनमें अभी तक भर्ती के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। इससे छात्रों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पढ़ रहा है। क्योकि क्लास लगनी शुरू हो गई है, लेकिन पर्याप्त अध्यापक नहीं है। बता दें कि जिन अतिथि अध्यापकों ने वर्ष 2021 से 22 तक पढ़ाया था उनका कार्यकाल पूरा हो चूका है। कॉलेज में एमएससी बॉटनी, जूलॉजी के 2 नए कोर्स शुरू किये है। जबकि इन कोर्स के लिए 9 पद काफी समय से ही कहली है इसमें अभी सिर्फ 3 शिक्षक ही कार्यरत है।
पीजी कॉलेज कवर्धा में करीब 35 सौ से भी ज्यादा छात्र पढाई कर रहे है, जबकि यहां केवल 41 अध्यापक ही कार्यरत है। जिसके चलते 22 पद अभी भी खाली है। (UGC) बता दें कि पिछले वर्ष इस कॉलेज के लिए 19 पदों पर भर्ती के लिए मंजूरी मिली थी, लेकिन अभी तक उन पदों पर भर्ती नहीं हुई। प्राचार्य का पद भी अभी खाली है।
कुई- कुकदूर में करीब 4 वर्ष पहले कॉलेज खोला गया था। लेकिन अभी तक उस कॉलेज के पास पढ़ने के लिए अपना भवन नहीं है। बोड़ला में संचालित कॉलेज में अब सिर्फ 3 प्राध्यापक ही पढ़ा रहे है जबकि 11 प्राध्यापकों के पद अभी भी रिक्त ही पड़े है। यह कॉमर्स और राजनीति शास्त्र के अध्यापकों की सूचि है। झलमला कॉलेज की बात करें तो यहां भी 16 पढ़ कहली पड़े है जबकि 3 अध्यापक पढ़ा रहे है। यह डाटा कुछ ही विषयों के अध्यापकों का है।
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