इंडिया न्यूज़, Chhattisgarh : New Orders Issued for Gun License Holders : प्रदेश में अब बंदूक लाइसेंस के लिए हर महीने बहुत से आवेदन पहुँच रहे है। बंदूक़ लाइसेंस के लिए अधिकतर जमीन के कारोबारी और इसी से जुड़े ठेकेदारों के दस्तावेज आ रहे है। इसी बिरादरी के लोग ही अपनी जान का खतरा महसूस होने के कारण सबसे ज्यादा आवेदन दे रहे है। कलेक्टर के पास हर महीने 10-15 बंदूक लाइसेंस के लिए दस्तावेज जमा होने के लिए आते है।
जानकारी के अनुसार अबकी बार लाइसेंस देने की प्रक्रिया को बदल दिया गया है। किसी भी व्यक्ति को लाइसेंस लेने के लिए पहले बंदूक रखने और चलाने की ट्रेनिंग जरूरी है। प्रशासन ने अब हर महीने 3 -4 लाइसेंस देने की घोषणा की है। जिस भी वयक्ति के पास ट्रेनिंग का सर्टिफिकेट नहीं होगा उसे लाइसेंस नहीं दिया जा रहा। जिसके बाद पार्टियों के नेता भी अर्जी करने लगे है। जिसके बाद उन्होंने भी कई वजह बता कर बंदूक़ की मांग कर रहे है। राज्य में अभी 12242 लोगों के पास बंदूक लाइसेंस है। इसमें अकेले रायपुर में ही 1729 लोगों के पास लाइसेंस है।
किसी भी व्यक्ति को लाइसेंस वाली बंदूक़ लेने से पहले कलेक्टोरेट में अर्जी दी जाती है। जिसके बाद इस अर्जी की जांच और सहमति-असहमति के लिए पुलिस थाने भेजा जाता है। जिसके बाद बंदूक़ रखने वाले व्यक्ति की जाँच की जाती है आखिर उसे किस वजह से हथियार की आवश्यकता है। उसके बाद भी लाइसेंस दिया जाता है।
प्रदेश में सबसे ज्यादा बंदूक लाइसेंस रायपुर में है। रायपुर में 1729 लोगों के पास लाइसेंस वाली बंदूक है। जानकारी के अनुसार कई लोग इसमें दूसरे राज्यों से आकर रायपुर में रहे लगे है जिनके पास उसके राज्य की लाइसेंस बंदूक़ है। अब उन्होंने यही का पंजीयन करवा लिया है।
इस लाइसेंस के बाद कलेक्टोरेट के अलावा थाना में सूचना देनी पड़ती है। पिछले साल रायपुर में 100 से अधिक बंदूक़ लाइसेंस के लिए आवेदन आये थे। जिसके बाद केवल 35 लोगों को लाइसेंस दिया गया था। वहीं इस साल 8 महीने में 90 से ज्यादा लोगों ने अर्जी दी है। इसमें से 35 लोगों को लाइसेंस जारी किया है। 2020 में 35 लोगों लाइसेंस जारी किया गया हैं।
प्रशासन ने अब बंदूक लाइसेंस लेने के लिए पहले बंदूक़ रखने और उसकी ट्रेनिंग की जानकारी देनी जरुरी है। इस ट्रेनिंग के लिए प्र्तेक युवक से 4 हजार की फीस ली जाती है। इस ट्रेनिंग को केवल 5-7 दिन तक दिया जाता है। पिछले 8 माह में 72 से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग दी गई है। जबकि 4 साल में 550 लोगों को ट्रेनिंग दी गई है। जिसके बाद इन लोगों को योग्यता के अनुसार सर्टिफिकेट दिए जाते है।
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