इंडिया न्यूज़, Jagdalpur News: प्रदेश के बस्तर में कुछ दिन पहले CISF के 4 जवान मंकीपॉक्स संदिग्ध (Monkeypox Suspect) पाए गए थे। जिसके चलते चारों जवानों को डिमरापाल मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया था। इन जवानों की मंकीपॉक्स जांच के लिए सैंपल लेकर पुणे के वायरोलॉजी लैब में भजे थे। जिसके बाद चारों जवानों की रिपोर्ट नेगेटिव आ गई है। लेकिन फिर भी स्वास्थ्य विभाग ने इस वायरस के प्रति सावधानी बरतने के लिए कहा है।
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर नवीन दुल्हानी ने कहा कि बैलाडीला के CISF पर तैनात 4 जवानों को कुछ दिन पहले मेडिकल कॉलेज में लाया गया था। उनके शरीर पर चट्टे दार दाने बने हुए थे। जवान 7 अगस्त को अपना हेल्थ टेस्ट करवाने के लिए अस्पताल में गए। जिसके चलते डॉक्टर ने उसके चेकउप के बाद कुछ हैरान करने वाली बात कही, डॉक्टर ने बताया कि शरीर पर मंकीपॉक्स के लक्षण जैसे दाने उभरे हुए है।
जिससे मंकीपॉक्स के संदिग्ध (Monkeypox Suspect) होने के संकेत मिलते है। इसके उपरांत डॉक्टर ने जवानों से जानकारी ली कि पिछले दिनों कहां-कहां गए, तो उन्होंने बताया कि एक जवान तो कुछ ही समय पहले दिल्ली से अभी वापिस आया है। जबकि दूसरा जवान तो यहीं बचेली में ही काफी समय से रह रहा है।
इन चार जवानों में से 2 की रिपोर्ट तो कुछ समय पहले नेगेटिव आ गई थी, लेकिन दो जवानों की रिपोर्ट नहीं आई थी। जो अब आ गई है और चारों जवान अब नेगेटिव पाए गए है। बता दें कि कुछ समय पहले एक छात्र के शरीर पर भी इसी प्रकार से लाल दाने होने की बात सामने आई थी।
लेकिन पुणे से आई रिपोर्ट के मुताबिक उसे वायरस नहीं था। कुछ ही दिनों में छात्र ठीक होने पर उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। इसी के चलते राज्य सरकार और यूटी को प्रदेश के किसी भी कोने में इस प्रकार का वायरस होने के दौरान सूचित करना जरूरी है और सरकार ने भी इससे बचाव के उपाय करने के आदेश दिए हैं।
जानकारी के अनुसार (First case Monkeypox) मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में कांगो में मिला था। यह एक 9 वर्ष के बच्चे को हुआ था। उसके बाद से लेकर कई अफ़्रीकी देशो में यह पाया जा चूका है। कहा जाता है, कि इसके लिए कई जानवर जातीय जिम्मेवार है जैसे गिलहरी, गैम्बिया, डर्मिस, बंदर आदि। बता दें की मंकीपॉक्स के लक्षण 4 दिन तक रहते है।