इंडिया न्यूज़ Raipur News: वर्तमान समय में देश के कई हिस्सों में आईवीएफ तकनीक से बच्चे पैदा किये जा रहे है। इसी के चलते प्रदेश में भी इस तकनीक को अपनाया जा रहा है। जिसके चलते छत्तीसगढ़ में अब तक करीब 300 बच्चों का जन्म भी इसी तकनीक से हुआ है। बता दें कि अभी तक प्रदेश के सरकारी हॉस्पिटल में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। लेकिनअब सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध होगी आईवीएफ, यह सुविधा कई निजी अस्पतालों में दी जा रही है। लेकिन इसके सफल होने के चांस भी सिर्फ 30 प्रतिशत बताए जाते है। जिसके चलते केवल धनी वर्ग ही इस तकनीक का लाभ उठा पाया है।
बता दें कि अब प्रदेश के सरकारी अस्पताल अंबेडकर में टेस्ट ट्यूब बेबी के अलावा आईवीएफ लैब खोलने का प्रस्ताव को राज्य शासन को भेज दिया गया है। इसी के चलते छत्तीसगढ़ में इस साल 50 बच्चों का जन्म इसी टेक्नॉलजी से हुआ है। राजधानी कॉलेज के एचओडी डा. ज्योति जायसवाल ने कहा कि अंबेडकर सरकारी अस्पताल में कई बार ऐसे मामले आ रहे है। जिनमें हम महिलाओं को आईवीएफ के बारे में बताते है। जानकारी के मुताबिक अभी तक सरकार ने आईवीएफ सेंटर की अनुमति नहीं दी है। जिसके चलते अंबेडकर अस्पताल में मरीज को भर्ती नहीं करते, इसके अलावा सरकारी मदद का भी कोई प्रावधान नहीं रखा गया है।
प्रदेश की राजधानी की बात करें तो यह लगातार कई जिलों में आईवीएफ तकनीक की सुविधा शुरू हुई है, इसमें रायपुर, बिलासपुर, भिलाई और अंबिकापुर जैसे जिलों का नाम है। जिसको देखते हुए लगता है कि भविष्य में यह तकनीक कई दंपत्तियों को संतान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जानकारी के मुताबिक इस तकनीक से जिन लोगों की शादी को काफी समय हो गया है वह भी माता-पिता बन सकते है।
इस तकनीक की सहायता से महिलाओं के गर्भ में दवाइयों के साथ अधिक अंडे बनाए जाते है। इसके उपरांत उन अंडों को सर्जरी से निकल कर पति के शुक्राणुओं के साथ मिक्स करके फिर गर्भ में रख दिया जाता है। इस प्रक्रिया में करीब 15 दिनों का समय लगता है। इसके बाद रक्त की जांच कर स्थिति का पता लगाया जाता है।
जैसे की पहले भी बताया है की जिन दंपतियों के बच्चे नहीं होते उनके साथ यह तकनीक अपनाई जाती है। जानकारी के लिए बता दें कि आज के दिन ही इस तकनीक से 1986 में भारत में पहले बच्चे का जन्म हुआ था। बता दें कि केंद्र कर्मियों को यह तकनीक की अनुमति पहले से मिली हुई है लेकिन किसी ने अभी तक इसका फायदा नहीं उठाया।
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