India News (इंडिया न्यूज़), Gas Pipeline in Rajnandgaon: राजनांदगांव के डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र के 21 गांवों से होकर प्राकृतिक गैस की भूमिगत पाइप लाइन बिछाने की तैयारी शुरु हो गई है। लेकिन प्रभावित होने वाले किसानों को अब तक ना तो मुआवजा दिया गया है और ना ही उनसे सहमति ली गई है। जिसके कारण अब काम रोकने के लिए विरोध भी शुरु हो गया है। किसानों का साथ देने विधायक व अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भुनेश्वर बघेल भी मैदान में उत्तर गए है। कार्य केंद्र सरकार के पेट्रोलियम एवं खनिज मंत्रालय के आदेश से कराया जा रहा है। प्रोजेक्ट मुंबई-नागपुर-झारसुगुड़ा तक प्राकृतिक गैस के लिए पाइप लाइन बिछाने का है। विधायक बघेल के नेतृत्व में एसडीएम को ज्ञापन देकर मुआवजा देने की मांग रखी साथ ही कार्रवाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
किसानों ने बताया कि भूमिगत पाइप लाइन बिछाने का काम गेल इंडिया लिमिटेड नई दिल्ली के द्वारा कराया जा रहा है। इसके लिए पहले तो सर्वे हुआ तब किसानों से कहा गया कि प्रभावितों को मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन अब पाइप लाइन बिछाया जा रहा है। इसके लिए किसानों से सहमति भी नहीं ली गई है और ना ही मुआवजा राशि दी गई है। बता कि मुंबई से नागपुर व झारसुगुड़ा तक प्राकृतिक गैस के लिए जमीन के अंदर पाइप लाइन बिछाया जाना है, ताकि पाइप लाइन से घरों तक गैस आपूर्ति की जा सके।
जब किसानों ने मामले की शिकायत विधायक बघेल के समक्ष की तब उन्होंने 24 अप्रैल को कंपनी व भारत सरकार को पत्र लिखकर मुआवजा राशि की मांग की थी। जिसके एक महीने बाद भी पत्र का कोई जवाब नहीं आया। जिससे परेशान होकर अब किसान आंदोलन की तैयारी में है। ज्ञापन देकर आंदोलन की चेतावनी देते हुए काम बंद कराने की बात कही है। सहमति व मुआवजा का यह मामला केवल डोंगरगढ़ विस नहीं बल्कि सभी गांवों का है।
इससे किसानों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। बताया गया कि कंपनी ने पाइप लाइन बिछाने के पूर्व प्रभावित किसानों की जमीन का भू-अर्जन भी नहीं किया है। जबकि किसी भी प्रोजेक्ट के शुरू होने से पहले राज्य सरकार के माध्यम से यह प्रक्रिया पूरी कर मुआवजा दिया जाता है। किसानों की सहमति के बाद ही काम शुरु होना था। लेकिन इस प्रोजेक्ट में नियमों का पालन नहीं किया गया है। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो प्रभावित किसान जल्द ही पूरी रणनीति के साथ बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे। जिसकी पूरी जवाबदारी शासन की होगी।
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