इंडिया न्यूज़, Electricity is costly in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में अब बिजली महंगी हो जाएगी । वर्तमान सरकार ने विधानसभा ने इसके लिए विद्युत शुल्क (संशोधन) विधेयक पेश कर पारित कर दिया है। राज्यपाल ने अपने हस्ताक्षर कर अपनी मंजूरी दे दी है। इस कानून को जल्द ही लागू कर दिया जाएगा। इस विधेयक के जरिए बिजली शुल्क में 3% से 7% तक की वृद्धि की गई है। इस कानून के नुसार अब बिजली उपभोक्ता को पहले से जायदा शुल्क देना होगा।
इस नए संशोधन के प्रावधानों के अनुसार अब उपभोक्ता को उसके उपयोग के हिसाब से बिजली शुल्क देना होगा। घरेलू उपभोक्ता, गैर घरेलू उपभोक्ता से लेकर उद्योगों में उपयोग बिजली सभी के शुल्क बढ़ गए है। जिस से आम जनता से लेकर उद्योगपतियों तक इसका प्रभाव बढ़ेगा। आम जनता की जेब पर इसका असर दिखेगा। नए कानून के अनुसार बिजली शुल्क इस प्रकार बढ़ाये गए है । .
. घरेलू कनेक्शन पर प्रति यूनिट एनर्जी चार्ज 8% से बढ़ाकर 11% कर दिया गया है।
. गैर घरेलू उपभोक्ताओं के लिए एनर्जी चार्ज 12% से बढ़ाकर 17% किया गया है।
. सीमेंट उद्योगों की कैप्टिव माइंस के लिए यह 15% से बढ़ाकर 21% करने की व्यवस्था की गई है।
. अन्य उद्योगोंके लिए यह चार्ज 56% तक तय हुआ है।
. छोटे उद्योगों के लिए श्रेणी के अनुसार एनर्जी शुल्क बढ़ाया गया है
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में इस बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि इस कानून को 1996-97 में पारित किया गया था। साल 2012-13 में मौजूदा सरकार ने इसमें संशोधन किया था। । अब 2022 में लगभग 10 साल बाद इसमें परिवर्तन करना अनिवार्य है। उसको फिर से अनुपातीकरण की जरूरत थी।
इससे उपभोक्ता के बिजली बिल में मामूली वृद्धि होगी। मुख्यमंत्री ने कहा, यह जो शुल्क लगाया गया है वह सेस नहीं है। उपकर नहीं है। इस संशोधन पर चर्चा के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। और राजपाल के पास मंजूरी के लिए भेज दिया गया।
जब विधेयक पर चर्चा चल रही तो विपक्ष में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने विधेयक पर बोलते हुए सरकार पर बिजली महंगी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, सरकार अगर शुल्क बढ़ाएगी तो जनता की जेब नहीं कट रही है। इससे महंगाई बढ़ेगी और राज्ये की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। सरकार वार करते हुए कहा जनता की जेब पर डाका डाल रही है इससे जनता के ऊपर भार नहीं पड़ेगा।
चर्चा दे दौरान उन्होंने सरकार की तुलना दिल्ली सररकार से की कहा यह काम अगर दिल्ली की सरकार करती है तो जनता के ऊपर भार पड़ता है। दोनों की मुद्रा अलग-अलग हैं क्या। सौरभ सिंह ने कहा, अगर हम वेरिएबल कास्ट पर बिजली लेते तो सरकार को यह शुल्क बढ़ाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
सरकार ने सोमवार को छत्तीसगढ़ उपकर (संशोधन) विधेयक भी बिना चर्चा के ही पारित करा लिया। इसके जरिए अचल संपत्ति यानी जमीन-मकान ट्रांसफर के पंजीकरण शुल्क पर 12% सेस लगेगा। पहले यह सेस 5% था। अब मकान के ट्रांसफर पर 7% अधिक शुक देना होगा |
भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, सेस बढ़ने से जमीनों के दाम बढ़ जाएंगे। जमींन आम जनता की पहुँच से दूर हो जाये गई हम इसका विरोध करते हैं। भाजपा विधायकों ने इस विधेयक पर अगले दिन चर्चा की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष ने सोमवार को ही चर्चा कराने पर जोर दिया। उसके बाद भाजपा विधायकों ने कार्यवाही से वॉक आउट किया।
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