दुर्ग: प्रदेशभर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका अपनी 6 सूत्री मांगों को लेकर बीते 19 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं। इस हड़ताल से यदि सबसे ज्यादा कोई प्रभावित हो रहा हैं तो वह बच्चे व गर्भवती महिलाएं हैं जिनके स्वास्थ्य एवं सुपोषण के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर आंगनबाड़ी के माध्यम से कई योजनाएं संचालित की जाती है। जो हड़ताल की वजह से प्रभावित हुई है इससे कुपोषण दर बढ़ने की आशंका भी बढ़ गई है।
दुर्ग जिले में भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन में बैठी आंगनबाड़ी और कार्यकर्ताओं का कहना है कि चुनावी घोषणा पत्र में सरकार ने हमें कलेक्टर दर पर मानदेय और नर्सरी में अपग्रेड करने के साथ ही और भी कई वादे किए थे। इसी मांगों को लेकर पिछले 4 वर्षों से वे संघर्ष कर रहे हैं ।
सभी आंगनबाड़ियों में लटके हुए हैं ताले
सरकार की इसी वादाखिलाफी को लेकर एक बार वह पुनः हड़ताल की राह पर चल पड़े हैं। इस हड़ताल की वजह से जिले में संचालित सभी आंगनबाड़ियों में ताले लटके हुए हैं। बच्चे जहां आंगनबाड़ी नहीं जा पा रहे हैं वही गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली सुविधाएं भी बंद है। इससे उनके स्वास्थ्य और सुपोषण पर असर पड़ रहा है। हड़ताल में बैठे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार को बच्चों और गर्भवती माताओं को हो रहे नुकसान को लेकर सोचना होगा। जल्द ही यदि उनकी मांगे पूरी कर दी जाती है तो फिर से वह अपनी कार्य को बेहतर तरीके से अंजाम दे पाएंगे ।
कौन करेगा आंगनबाड़ियों पर आश्रित बच्चे एवं महिलाओं के नुकसान की भरपाई
हड़ताल की वजह से शासन की योजनाओं से वंचित छोटे-छोटे नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं के लिए योजना के क्रियान्वयन में हो रही दिक्कतों की जानकारी के लिए इंडिया न्यूज़ टीम जिले के महिला एवं बाल विकास अधिकारी से मिलने पहुंची तो वे ऑफिस में नहीं मिले तो उन्हें कई बार फोन से संपर्क करने का प्रयास किया लेकीन वे फोन रिसीव करना भी उचित नहीं समझे।
अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए किसे दोषी माना जाए महिला एवं बाल विकास विभाग की यह अधिकारी कर्मचारी या राज्य सरकार या आंगनबाड़ियों पर आश्रित यह बच्चे एवम महिलाएं जो समय पर मिलने वाली योजनाओं से वंचित हो गए हैं जिसकी भरपाई शायद कभी नहीं हो पाएगी।