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छत्तीसगढ़ सुप्रीम कोर्ट: 58% आरक्षण के प्रावधान पर 14 अक्टूबर को होगी पहली सुनवाई

• LAST UPDATED : October 1, 2022

इंडिया न्यूज़, Chhattisagrh : Chhattisgarh Supreme Court : छत्तीसगढ़ सरकार ने बिलासपुर हाईकोर्ट ने 58% आरक्षण के प्रावधान को लागू कर दिया है। कोर्ट में इस प्रावधान को लागू करने के बाद सरकारी भर्तियों में आरक्षण अनुसूचित जनजाति को 20%, अनुसूचित जाति को 16% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% के अनुपात में आरक्षण का लाभ मिलेगा। इस कार्यवाही की तारीख को आगे बढ़ाया गया है। सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता बी.के. मनीष की अपील पर इस मामले की पहली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।

जानकारी के अनुसार, बी.के. मनीष ने बताया, कि याचिका 23 सितंबर को कोर्ट में दी गई थी। इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई  की अर्जी दी थी। इस मामले की तत्काल सुनवाई कार्यवाही करने के लिए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू.यू. ललित ने शुक्रवार शाम कार्यवाही करने के लिए बोला। इस मामले के लिए अब सुनवाई 14 अक्टूबर की तारीख तय हुई है।

कोर्ट में होगी दो याचिकाएं दाखिल

बताया जा रहा है कि इस मामले को देखते हुए आदिवासी समाज के नेता योगेश ठाकुर और जांजगीर-चांपा जिला पंचायत की सदस्य विद्या सिदार भी कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल करेंगे। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार भी इस मामले की घोषणा के लिए बोल रही है। महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने बताया है, इस मामले पर उनका कार्यालय खास तोर पर विश्लेषण कर रहा  है। इस मामले में  सरकार पूरी तैयारी के साथ सुप्रीम कोर्ट में बिलासपुर हाईकोर्ट इस फैसले का जवाब देगी। राज्य के हित में बात कहने के लिए तीन वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी और अभिषेक मनु सिंघवी का पैनल भी तय किया जा रहा है।

कोर्ट में लगेगा केविएट लगाया

इस मामले को देखते हुए गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने कोर्ट में अर्जी देकर चेतावनी जाहिर की है। मामले की एक और पक्षकार रेणु पंत ने भी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि कोर्ट अपना फैसला सुनने से पहले उनका भी पक्ष सुना जाए। गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने ही 2012 में तत्कालीन सरकार के अनुसूचित जाति का आरक्षण कम कर आदिवासी आरक्षण को 32% करने के कानून को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

हाईकोर्ट ने पलट दिया है पूरा आरक्षण

इस मामले को सबसे पहले बिलासपुर उच्च न्यायालय ने 19 सितंबर को अपने फैसले में इस फैसले को 58% आरक्षण को असंवैधानिक बोल दिया था। जिसके बाद अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 32% से घटकर 20% हो गया। वहीं अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% से बढ़कर 16% हो गया। इसी के साथ जिला कैडर का आरक्षण भी प्रभावित हुआ है। इस फैसले के बाद स्कूल-कॉलेजों में आरक्षण पूरी तरह खत्म हो किया गया।  जिसके कारण प्रदेश की जनता ने नाराजगी जताई।

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