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छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिनियम :शहर के किराएदारों और मकान मालिकों के विवाद को निपटाएंगे डिप्टी कलेक्टर

• LAST UPDATED : October 4, 2022

इंडिया न्यूज़,Chhattisagrh :  Chhattisgarh Rent Control Act : छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिनियम के तहत दस लाख किराएदारों और मकान मालिकों के लिए नई व्यवस्था लागू हो गई है। इस नई नीति के तहत छोटे शहरों और गांवों के मकान मालिक-किराएदारों को किसी भी विवाद को लेकर नगर निगम के चक्र नहीं लगाने पड़ेगे। अब किसी भी विवाद को नगर पालिका नगर पंचायतों में सुलझा सकेंगे। इस योजन के तहत राज्य सरकार डिप्टी कलेक्टर को भी भाड़ा नियंत्रक अधिकारी बनाने की घोषणा करने वाली है। शहर और गांव के सभी विवाद अब डिप्टी कलेक्टर के पास आएंगे।

नए अधिनियम की अधिसूचना भी जारी

जानकारी के अनुसार, शहर के किराएदारों और मकान मालिकों के लिए छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिनियम 2011 राज्य शासन की ओर से बना है। इस अधिनियम को दो हिस्सों में लागू किया गया था। इस अधिनियम के लागू होते ही पहले नगर-निगमों में लागू किया गया, परन्तु इस अधिनियम को राज्य के छोटे स्थानीय निकाय जैसे नगर पालिका, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत के लिए राज्य शासन की ओर से लागू नहीं किया गया। इन शहरों में होने वाले विवाद नगर निगम और जिला ट्रिब्यूनल में निपटाए जाते थे।

विवाद के मुख्य बिंदु :

  • मकान मालिक द्वारा करार का उल्लंघन
  • किराएदार द्वारा करार का उल्लंघन
  • मकान मालिक को जरूरत पड़ने पर किराएदार द्वारा मकान खाली न करना
  • किराएदार की शिकायत कि मकान मालिक ने बिजली काट दी
  • मकान मालिक बिजली का एक्सटेंशन नहीं दे रहा
  • मकान मालिक ने पानी की सप्लाई रोक दी
  • किराएदार द्वारा किराया न देना।
  • तीन स्तर पर विवादों का निराकरण

तीन स्तर पर विवादों का निपटारा

  • निकायों में सुनवाई
  • ट्रिब्यूनल में सुनवाई
  • हाईकोर्ट में सुनवाई।

मामलों का निपटारा

  • मकान मालिक और किराएदार के बीच किराये को लेकर यदि किसी भी प्रकार की कोई बात नहीं हुई है तो पहले छह
  • महीने का नोटिस मकान खाली कराने के लिए कियादार को दिया जाता है। यदि मकान मालिक किरायेदार को नोटिस नहीं देता है तो किरायेदार अनधिकृत कब्जा कर लेता है।
  • इस पूरी प्रक्रिया को भाड़ा नियंत्रक अधिकारी देखते हैं कि दोनों के बीच किये गए समझौते का उल्लंघन तो नहीं हो रहा।
  • इस अधिनियम के तहत यदि किराएदार मकान मालिक के घर पर कब्जा करने का दवा करता है तो ये केस  सिविल में चला जाता है।
  • मकान मालिक और किराएदार के विवाद की स्थिति में तीन स्तर पर सुनवाई होती है। इसके बीच और कोई कोर्ट नहीं है।

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