India News CG ( इंडिया न्यूज ), Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में लापरवाही के बीच इंसानियत और लक्ष्य को पाने के जज्बे की एक तस्वीर सामने आई है। बिना चप्पल पहने, आंख, चेहरे और पैर पर चार टांके और दो इंजेक्शन के साथ कन्या शाला में बीएड की परीक्षा देने पहुंची छात्रा नेहा सेन को देखकर हर कोई दंग रह गया। जब उसने परीक्षा केंद्र के प्रभारी को अपनी हालत बताई तो हर किसी ने उसके हौसले को सलाम किया। घायल अवस्था में नेहा ने 6 घंटे के अंतराल में होने वाली प्री बीएड और प्री डीएड परीक्षा में बैठने की अनुमति मांगी।
रविवार की सुबह राजिम के कौंदकेरा निवासी योगेश्वर सेन अपनी बेटी नेहा सेन को प्री बीएड और प्री डीएड की परीक्षा दिलाने के लिए अपने गांव कौंदकेरा से मोटरसाइकिल से निकले थे। इस दौरान गरियाबंद से 12 किलोमीटर पहले नेशनल हाईवे पर बारुका के पास पीछे से आ रही मां शारदा बस के चालक ने लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते हुए पिता-पुत्री को पीछे से टक्कर मार दी और मौके से फरार हो गया।
इस दौरान गरियाबंद से रायपुर जा रहे गरियाबंद निवासी आशीष शर्मा, सुनील यादव और प्रशांत मानिकपुरी ने मिलकर घायल युवती को जिला अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था की, वहीं दूसरी ओर उसके पिता को 108 के माध्यम से जिला अस्पताल लाया गया।
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जिला अस्पताल में इलाज के दौरान पता चला कि लड़की के पिता का पैर फ्रैक्चर हो गया है और उनके चेहरे पर भी गंभीर चोटें आई हैं। जिसके कारण वह चलने में असमर्थ थे। चेहरे और पैर पर चार टांके लगने के बाद भी लड़की परीक्षा देने की जिद पर अड़ी रही। चूंकि परीक्षा सुबह 10:00 बजे थी और लड़के को जिला अस्पताल में इलाज कराते हुए 9:50 हो चुके थे, लड़की की जिद को देखते हुए पुलिस विभाग के कर्मचारियों ने मानवता दिखाई और उसके शुरुआती इलाज के बाद उसे पीसीआर वाहन में डालकर कन्या शाला परीक्षा केंद्र पर छोड़ दिया।