India News CG (इंडिया न्यूज़), Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने सोमवार को रायपुर स्थित राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई की। सोमवार को आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक की अध्यक्षता में 252वीं सुनवाई हुई। रायपुर जिले में कुल 124वीं जनसुनवाई हुई है। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका को सुरक्षा कारणों से 4 अप्रैल 2024 तक आयोग द्वारा नारी निकेतन रायपुर भेज दिया गया था। उसके परिवार से अब तक किसी ने शपथ पत्र नहीं दिया था।
आवेदिका की मां ने शपथ पत्र दिया। उन्हें आश्वस्त किया गया कि आवेदिका और उसके पति आपसी सहमति से कोरबा के कुटुंब न्यायालय में तलाक की प्रक्रिया शुरू करेंगे। तलाक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों पक्ष आपस में विवाह के सामान का आदान-प्रदान करेंगे। इस निर्देश के साथ प्रकरण का निराकरण किया गया। आयोग में प्रकरण प्रस्तुत होते ही दोनों पक्षों के बीच विवाद समाप्त हो गया है। आवेदिका को आवेदिका द्वारा 6 माह के मातृत्व अवकाश वेतन के लिए 1 लाख 85.767 रुपए की राशि प्रदान की गई है। ऐसी स्थिति में प्रकरण का उद्देश्य पूर्ण हो गया है। ऐसी स्थिति में प्रकरण का निराकरण किया गया।
दूसरे प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक के विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत किया था, किन्तु सुनवाई के दौरान अनावेदक ने बताया कि आवेदिका ने अनावेदक के विरूद्ध धारा 376, 506 के तहत प्रकरण प्रस्तुत किया था, जिसमें अनावेदक 13 दिन जेल में रहा तथा जमानत पर रिहा हुआ। तथापि प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसी स्थिति में आयोग में सुनवाई किया जाना न्यायोचित नहीं होने से प्रकरण का निराकरण किया गया।
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दूसरे प्रकरण में दोनों पक्षों की सुनवाई करते हुए पाया गया कि अनावेदक के विरूद्ध प्रमाण पत्र निरस्तीकरण का प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसी स्थिति में प्रकरण को आगे जारी रखना संभव नहीं है। इस स्तर पर आवेदिका ने बताया कि उसे 1 माह से वेतन नहीं मिला है, जिसे देने के लिए अनावेदक सहमत हो गया तथा आवेदिका का सामान देकर आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के पश्चात प्रकरण का निराकरण किया गया। वहीं, एक अन्य मामले में भी दोनों पक्षों की काउंसलिंग के बाद दोनों पक्ष तलाक के लिए राजी हो गए। अनावेदक ने बताया कि उसने रायपुर न्यायालय में तलाक के लिए आवेदन दिया है। चूंकि मामला न्यायालय में है, इसलिए आयोग द्वारा मामले का निराकरण कर दिया गया।
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