इंडिया न्यूज, केरला (कोच्ची): 1st Swadeshi INS Vikrant : भारतीय नौसेना को आज पहला स्वदेशी युद्धपोत मिल गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केरल के कोचीन शिपयार्ड में एक कार्यक्रम के दौरान आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना को समर्पित किया। भारत के पास अब दो ऐरक्रैफ़्ट हो गए है। आईएनएस विक्रांत से पहले भारत के पास विक्रमआदित्य ऐरक्रैफ़्ट था। आईएनएस विक्रांत मिल नौ सेना की ताकत अब दो गुनी हो गई है । प्रधानमंत्री ने कार्यकर्म को सम्बोधन के दौरान कहा, मैं उन वैज्ञानिकों व नौसेना के अलावा श्रमिकों का तहेदिल से अभिनंदन करता हूँ, जिन्होंने आईएनएस विक्रांत जैसे युद्धपोत का निर्माण कर सपने को साकार कर वास्तविकता में परिवर्तन किया है।
INS Vikrant को आज 2 सितंबर 2022 को एक समारोह के दौरान प्रधानमंत्री ने भारतीय नौ सेना को सौपा है। इस अवसर पर उनके साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा मुख्यमंत्री पिनरई विजयन व राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और नौ सेना प्रमुख भी मौजूद रहे।
1st Swadeshi INS Vikrant
नौसेना के उपप्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने बताया कि आईएनएस विक्रांत के उपकरण देश के 18 अलग अलग राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में निर्मित किए गए हैं। राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के जिन शहरों में उपकरण बनाए गए हैं उनमें कोलकाता, अम्बाला ,जालंधर, दमन, पुणे, नई दिल्ली और कोटा शामिल हैं। आधुनिक आईएनएस विक्रांत मेक इन इंडिया जैसी पहल का एक उदाहरण है
विक्रांत की अधिकतम स्पीड 28 समुद्री मील यानी 52 किमी प्रति घंटा गति से 12000 की दुरी तह कर सकता है ।विक्रांत से भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ेगी। नौसेना की आक्रामक एवं रक्षात्मक क्षमताएं और मजबूत होंगी। भारत का नाम उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है जो विमान वाहक पोतों को डिजाइन करने और इनके निर्माण की विशिष्ट क्षमता रखते हैं।
आईएसी विक्रांत 2 फूटबाल के मैदान जितना छोड़ा और लम्बा है। ये 262 मीटर लंबा युद्ध पोत है। इसमें 2400 किलोमीटर केबल लगी है। इस केबल से कोच्चि से दिल्ली तक की दुरी मापी जा सकती है|
आईएनएस विक्रांत में लगी स्टील को डीआरडीओ ने तैयार किया है। जानकारी केअनुसार चार एइफ्फेल टावर जितनी स्टील लगी हुए है। आईएनएस विक्रांत का वजन 45000 टन है | इसकी मजबूती का दुश्मन देश लोहा मानते है। यह युद्धपोत से ज्यादा एक तैरता एयरफील्ड है, इसमें बिजली का इतना उत्पादन हो सकता है कि उससे 5000 घरों को रोशनी पहुंचाई जा सकती है।
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20,000 करोड़ की लागत से बने इस युद्धपोत में 2,300 कंपार्टमेंट है। इस विमान वाहक में 15 मजिले है। हर मजिल पर अलग अलग तरह के ऑपरेशनल सेण्टर है। इसमें 1700 कर्मचारी तैनात किये जा सकते है। इस विमान वाहक में 16 कमरों का आधुनिक अस्पताल और एक ओप्रशन थिएटर भी है। इसके साथ ही इस युद्धपोत में एक बड़ी रसोई घर भी होगा जहा पर सेकड़ो कर्मचारियों के लिए भोजन बनेगा।
सबसे खास बात इस युद्धपोत को ब्रह्मोस और बराक मिसाइल से लैस है आईएनएस विक्रांत में एक 30 एयरक्रॉफ्ट तैनात किए जा सकते हैं। इसके अलावा इससे MiG 29 और Dhruv फाइटर जेट भी उड़ान भरकर एंटी-सरफेस, एंटी-एयर व और लैंड अटैक कर सकते हैं। इस युद्धपोत पर कामोव और MH 60 R हेलिकॉप्टर का संचालन भी किया जा सकता है। युद्धपोत में 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइन लगी हैं।
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भारतीय वैज्ञानिकों व इंजीनियर्स ने आईएनएस विक्रांत बनाने का काम 2009 में शुरू किया। भारतीय वैज्ञानिकों व इंजीनियर्स के कड़े परिश्रम के बाद अब 13 साल बाद ये नौसेना मिला है। अब ये नो सेना को समर्पित भारत की तटीय सीमा की सुरक्षा करेगा ।
वहीं पीएम मोदी ने भारतीय नौसेना के नए झंडे का अनावरण कर दिया है। मालूम रहे कि भारतीय नौसेना के वर्तमान ध्वज के ऊपरी बाएं कोने में तिरंगे के साथ सेंट जॉर्ज क्रॉस है। 2 अक्टूबर, 1934 को नौसेना सेवा का नाम बदल लिया गया था और इस रॉयल इंडियन नेवी का नाम दे दिया गया था। 26 जनवरी, 1950 को भारत के गणतंत्र दिवस पर उक्त रॉयल को हटाकर भारतीय नौसेना का नाम घोषित कर दिया गया।
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