India News, (इंडिया न्यूज़), Right to Housing for Vulnerable Tribal Groups, रायपुर: छत्तीसगढ़ ने कमार जनजाति (Kamar tribe), एक विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह, के प्राकृतिक वास (Habitat) अधिकारों को मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे अंततः राज्य के चार वन जिलों में रहने वाले क्षेत्रों पर उनके प्रथागत अधिकार स्थापित हो सकते हैं।
यहां आपको बता दें कि प्राकृतिक वास का मतलब मान्यता देना नहीं है। प्राकृतिक वास का आधिकार अलग-अलग हैं और उनकी मान्यता अकेले वन अधिकारों की मान्यता से अधिक शक्तिशाली है।
एक बार सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त ये अधिकार एक जनजाति को उस पूरे क्षेत्र पर अपने प्रथागत और पारंपरिक अधिकारों का दावा करने की अनुमति देते हैं जहां वे पारंपरिक रूप से रहते हैं; और क्षेत्र का संरक्षण और पारिस्थितिक प्रबंधन करना; और जंगलों को हटाने के किसी भी प्रस्ताव पर अपनी बात रख सकते हैं।
आपको बता दें कि साल 2015 में, मध्य प्रदेश ने डिंडोरी जिले में बैगाओं के आवास अधिकारों को मान्यता दी गई थी। छत्तीसगढ़ में यह पहली बार है कि आवास अधिकारों को मान्यता दी जा रही है। कमार जनजाति चार जिलों गरियाबंद, महासमुंद, धमतरी और कांकेर जिलों में फैली हुई है।
आवास अधिकारों का महत्व यह है कि यह अपने क्षेत्र के संपूर्ण विस्तार पर समुदाय के अधिकारों को मान्यता देता है। अधिकारों की चार श्रेणियां मान्यता प्राप्त हैं – भूमि पर उनका दावा; पारिस्थितिक अधिकार जिसमें जल निकायों, वन संसाधनों, पारंपरिक ज्ञान, पारंपरिक प्रथाएं जैसे पारंपरिक पोशाक, घर निर्माण तकनीक; और शहद पालन, बांस कला और शिल्प आदि जैसी आर्थिक गतिविधियां, का उपयोग शामिल है।
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