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MS Swaminathan Death: M.S स्वामीनाथन के निधन पर सीएम ने जताया शोक, जानें कौन है हरित क्रांति के जनक, कैसे बदली किसानो की तकदीर

• LAST UPDATED : September 28, 2023

India News (इंडिया न्यूज़), MS Swaminathan Death: छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने  हरितक्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन पर दुःख जताया है। मुख्यमंत्री भूपेश ने डॉ. स्वामीनाथन के शोक जता कर परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।

हरित क्रांति के जनक का हुआ निधन

भारत में हरित क्रांति के जनक महात्मा स्वामीनाथन का आज यानी 28 सितंबर 2023 को चेन्नई में स्थित उनके निवास स्थान में निधन हो गया। उन्होंने 98 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। इन्हें भारत में किसानों की तकदीर परिवर्तित करने वाले कृषि वैज्ञानिक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने शोध से भारत में अनाज उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि ला दी थी।

एमएस स्वामीनाथन ने धान की अधिक उपज देने वाली प्रजातियों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी इस खोज से भारत के कम आय वाले किसान अधिक उपज पैदा करने लगे। बता दें कि भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कब हुई थी और गरीब किसानों की तकदीर कैसे बदल गई थी।

1968 में हरित क्रांति की शुरुआत

भारत में हरित क्रांति की शुरुआत 1968 में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय कृषि को आधुनिक तकनीक और अवशेष के साथ उद्योगों के स्तर पर बदलना था। पहले साल में 13 करोड़ हेक्टेयर जमीन में से 24 लाख हेक्टेयर जमीन में सबसे ज्यादा उपज वाले बीज का इस्तेमाल किया गया था। इस प्रयोग ने किसान की तकदीर पलटने की शुरुआत कर दी थी।

1970-71 में 1.5 करोड़ हेक्यायर में खेती 

इसके बाद 1970-1971 तक 1.5 करोड़ हेक्टेयर में खेती हुई। हरित क्रांति का असर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना में देखा गया।

कौन थे एमएस स्वामीनाथन?

एमएस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का उद्घोषक कहा जाता था। स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था। 1943 के बंगाल के अकाल को देखकर वे परेशान हो गए। यह अकाल देखकर उन्होंने कृषि विज्ञान की पढ़ाई करने को सोचा। जिसके लिए उन्होंने अपनी जंतु विज्ञान की पढ़ाई को बीच में छोड़ना उचित समझा, ताकि वे देश की खाद्य सुरक्षा में योगदान दे सकें। नॉर्मन बोरलॉग के सिद्धांत को भारत में आगे बढ़ाने का काम डॉ. स्वामीनाथन ने किया। उन्होंने अधिकांश उप-विषयों वाली कृतियों के विरोध के लिए लोगों से सलाह परामर्श करना शुरू कर दिया।

पद्म भूषण से सम्मानित हुए एम एस स्वामीनाथन

एमएस स्वामीनाथन कृषि विभाग के वैज्ञानिक थे। उन्होंने 1972 से लेकर 1979 तक ‘इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च’ के अध्यक्ष पद पर भी काम किया था। कृषि क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए उन्हें सरकार की ओर से पद्म भूषण से नवाजा गया था।

पगवॉश और आईयूसीएन सोनो की अध्यक्षता संभाली

स्वामीनाथन ने भारत में मिट्टी और चावल की उच्च उपज वाली प्रजातियों की शुरुआत और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। स्वामीनाथन ने साइटोजेनेटिक्स, आयनीकरण विकिरण और रेडियो तत्वों जैसे क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए आलू, आटा और चावल पर मूल शोध में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने पगवॉश कन्वेंशन और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) दोनों की अध्यक्षता संभाली।

टाइम मैगजीन में मिली जगह

1999 में, टाइम मैगजीन ने उन्हें महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर की श्रेणी में ’20वीं सदी के 20 सबसे प्रभावशाली एशियाई लोगों’ में शामिल किया था। इस प्रतिष्ठित सूची में भारत और एशिया के अन्य आदर्शों से ईजी टोयोडा, दलाई लामा और माओत्से तुंग जैसे उदार व्यक्तित्व वाले व्यक्ति भी शामिल थे।

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