India News CG (इंडिया न्यूज़), CG Power Purchase: तेलंगाना में बीआरएस शासन के दौरान बिजली क्षेत्र में की गईं अनियमितताओं की जांच कर रहे न्यायमूर्ति एल. नरसिम्हा रेड्डी आयोग के समक्ष छत्तीसगढ़ बिजली खरीद समझौते (पीपीए) को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। तेलंगाना जनसमिति और बिजली कर्मचारी संयुक्त आंदोलन समिति ने दावा किया है कि पिछली सरकार ने नियमों का पालन किए बिना ही छत्तीसगढ़ के साथ इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।
विवरण के अनुसार, तेलंगाना जनसमिति के अध्यक्ष प्रो. एम. कोडंडारम और बिजली कर्मचारी आंदोलन समिति के अध्यक्ष के. रघु ने मंगलवार को आयोग के सामने एक प्रस्तुति दी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने खुली निविदा प्रक्रिया का पालन किए बिना ही छत्तीसगढ़ के साथ बिजली खरीद समझौता कर लिया।
रघु ने यह भी आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ ने समझौते के मुताबिक बिजली की आपूर्ति नहीं की, जिससे राज्य को 2,600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उनका कहना था कि राज्य बिजली नियामक आयोग ने भी इस समझौते को मंजूरी नहीं दी थी।
समझौते के तहत बनने वाली भद्राद्री और यादाद्री बिजली परियोजनाओं के निर्माण में भी नियमों का पालन नहीं किया गया, जिससे सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा। रघु ने बताया कि हालांकि इन परियोजनाओं को 3 साल में पूरा होना था, लेकिन पिछले 9 सालों में भी वे चालू नहीं हो सकीं।
रघु ने चेतावनी दी कि अगर गोदावरी में भारी बाढ़ आती है तो भद्राद्री बिजली संयंत्र को नुकसान हो सकता है, क्योंकि इसके निर्माण में तकनीकी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया।
वहीं, पूर्व ऊर्जा मंत्री जगदीश रेड्डी ने इस आरोप पर सवाल उठाया कि जब डिस्कॉम ने 7,000 करोड़ रुपये का भुगतान करके 17,000 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी तो सरकार को 6,000 करोड़ का नुकसान कैसे हुआ। उन्होंने कहा कि अगर छत्तीसगढ़ समझौता नहीं होता तो इतनी बिजली खरीदने में 17,000 करोड़ रुपये खर्च होते।
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