India News ( इंडिया न्यूज ) Health News: जब हमारे शरीर में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर का रूप ले लेती हैं, तो उसे कैंसर कहते हैं। जब इसकी शुरुआत फेफड़ों की कोशिकाओं से होती है, तो उसे फेफड़ों का कैंसर कहते हैं। फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण बहुत ज़्यादा सिगरेट पीना है। हालाँकि, आजकल वे लोग भी फेफड़ों के कैंसर का शिकार हो रहे हैं, जिन्होंने कभी सिगरेट को हाथ नहीं लगाया। फेफड़ों का कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है, जिसकी वजह से इसे साइलेंट किलर की श्रेणी में भी रखा जाता है।
काफी लंबे समय से चली आ रही खांसी। दवाइयों के बावजूद ठीक न होना।
खांसते समय खून आना।
हल्की गतिविधि से भी सांस फूलना
सीने में दर्द
स्वर बैठना
बिना किसी कारण के वजन कम होना
हड्डियों में दर्द महसूस होना
हर समय सिर में दर्द होना
फेफड़ों के कैंसर दो प्रकार के होते हैं-
1. छोटी कोशिका प्रकार – 10-15%
2. गैर-छोटी कोशिका प्रकार – 85-90%
खांसी, जो लंबे समय से चली आ रही हो। दवाइयों के बावजूद ठीक न हो रही हो।
खांसते वक्त खून आना।
हल्की- फुल्की एक्टिविटी में ही सांस फूलने लगना
सीने में दर्द
गला बैठना
बिना वजह वजन घटना
हड्डियों में दर्द का एहसास
हर वक्त सिरदर्द रहना।
कितने तरह के होते हैं लंग कैंसर?
लंग कैंसर दो तरह के होते हैं-
1. स्मॉल सेल टाइप- 10-15%
2. नॉन स्मॉल सेल चाइप – 85-90%
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