India News Chhattisgarh (इंडिया न्यूज), CG News: बस्तर के धुरवा आदिवासी समुदाय में शिक्षा की नई लहर उठ रही है। इस समाज ने अपने बच्चों के लिए 12वीं तक की शिक्षा को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। बस्तर संभाग में निवासरत दो लाख से अधिक जनसंख्या वाले धुरवा आदिवासी समाज की साक्षरता दर केवल 35 प्रतिशत है।
गांव में शिक्षा की अलख
धुरवा समाज के संभागीय महासचिव डा. गंगाराम धुर के अनुसार, पिछले दिनों ग्राम कोलेंग में आयोजित वार्षिकोत्सव में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि समाज के पढ़े-लिखे जागरूक युवा टोलियां बनाकर गांव-गांव जाकर शिक्षा की अलख जगाने का काम करेंगे।
ड्रापआउट
सर्वेक्षण से पता चला है कि मिडिल स्कूल स्तर तक छह से 14 साल के बच्चों का ड्राप आउट चार प्रतिशत और मिडिल से हायर सेकेंडरी तक ड्राप आउट 10 प्रतिशत से अधिक है। समाज ने शालात्यागी बच्चों को दोबारा स्कूलों में भर्ती कराने और 14 से अधिक आयु-वर्ग के शालात्यागी बच्चों को स्वाध्यायी माध्यम से 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है।
कई लोगों का होगा सहयोग (CG News)
धुरवा समाज के युवा इंजीनियर कर्ण सिंह बघेल और डॉ. हर्षकुमार धुर जैसे शिक्षित लोग भी इस अभियान में सहयोग करने को तैयार हैं। इस समुदाय का मुख्य पेशा खेती और बांस के उत्पाद तैयार करना है। समाज के लोग प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के प्रति समर्पित हैं।
बस्तर संभाग में 67 प्रतिशत जनसंख्या जनजातीय समुदायों की है, जिसमें हल्बा, भतरा, गोंड, धुरवा, दोरला, मुरिया और माड़िया आदि शामिल हैं। बस्तर के आदिवासियों की विलक्षण संस्कृति के दीदार के लिए हर साल हजारों पर्यटक यहां आते हैं।
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