India News (इंडिया न्यूज), CG Election 2023: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव इस वर्ष के अंत में होने वाले है। भाजपा और कांग्रेस पार्टी ने 90 विधानसभा सीटों के लिए कमर कस ली है और चुनाव के लिए प्रचार में जुट गई है। आगामी चुनाव में दोनों ही पार्टियों की नजर खैरागढ़ विधानसभा सीट पर टिकी हुई है।
खैरागढ़ विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली सीट पर लंबे समय तक राज परिवार का शासन रहा, लेकिन लगभग 47 साल बाद 2007 में बीजेपी ने इस जीत पर विराम लगा दिया। विधायक कोमल जंघेल ने 2007 के उपचुनाव में खैरागढ़ सीट से जीत दर्ज कर कमल खिलाया था।
बता दें कि इस सीट से कांग्रेस की रानी रश्मि देवी सिंह 1960 से 1993 तक जीत दर्ज करती आई है। 1995 में रश्मि देवी के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई तो उपचुनाव आयोजित कराए गए। इसमें उनके बेटे देवव्रत सिंह ने जीत हासिल की। 2003 तक देवव्रत सिंह ने ही बाजी मारी।
संसदीय चुनाव में भी रश्मि देवी सिंह के बेटे ने ही जीत दर्ज की, जिस वजह से खैरागढ़ सीट खाली हो गई। फिर 2007 में दोबारा से उपचुनाव किए गए, जिसमें देवव्रत की पत्नी पद्मा सिंह को चुनाव में उतारा गया। बता दें कि, भाजपा ने कोमल जंघेल को खैरागढ़ सीट पर पद्मा सिंह के खिलाफ उतारा और पहली बार जीत दर्ज की।
बीजेपी नेता कोमल की जीत के बाद भाजपा का विश्वास बढ़ा और 2008 में दोबारा से कोमल पर अपना दूसरा दांव खेला। हालांकि, इस बार कोमल ने हार का सामना किया। कांग्रेस के गिरवर जंघेल ने 2013 के विधानसभा चुनाव में कोमल को 2190 वोट से हरा दिया। 2018 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के प्रत्याशी देवव्रत सिंह ने उन्हें 870 मतों से हरा दिया। बीते वर्ष हुए उपचुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
Also read: CM Bhupesh Baghel: शास्त्री जी जैसे कर्मयोगी सदा लोगों को प्रेरित करते रहेंगे- सीएम…