India News (इंडिया न्यूज़), Raigarh: रायगढ़ जिले के सबसे पुराने इंजीनियरिंग कॉलेज किरोड़ीमल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की समस्या पिछले कई सालों से लगातार बनी हुई है और इसका कोई समाधान भी भविष्य में होने की संभावना नजर नहीं आ रही है। के आई टी कर्मियों को पिछले 16 महीनों से तनख्वाह नही मिली है। इसके पहले भी इसी तरह तनख्वाह नहीं मिलने की स्थिति में जिला प्रशासन द्वारा डी एम एफ से के आई टी कर्मियों के वेतन की व्यवस्था की जाती रही है। पर इस बार फिर 16 महीने से इन्हें तनख्वाह नहीं मिली है जिससे इनके समक्ष भूखों मरने की नौबत आ खड़ी हुई है।
के आई टी कर्मियों द्वारा कई बार वेतन हेतु शासन प्रशासन से ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया है , पर कोई नतीजा नहीं निकला। गौरतलब है कि के आई टी कर्मी बिना वेतन के भी अपने कर्तव्यों के निर्वहन में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लिहाजा इस बार उन्होंने पिछले 16 माह के वेतन भुगतान और उसके बाद लगातार वेतन मिलते रहने की व्यवस्था नहीं होने तक किसी भी प्रकार के काम ना करने का निश्चय किया है और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं।
आपको बता दें कि के आई टी छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रवर्तित संस्था है जिसकी वित्तीय व्यवस्था स्व पोषित है । पर पिछले कई सालों से इंजीनियरिंग का क्रेज लगातार कम होते जाने के कारण कॉलेज में छात्रों के एडमिशन नाममात्र को हो रहे हैं। साथ ही प्रबंधन द्वारा नए छात्रों के प्रवेश पर अपेक्षित ध्यान भी नही दिया जा रहा है। आज के लोकप्रिय ट्रेडों / विषयों के टीचर्स की कमी है। वहीं बाहर के छात्र-छात्राओं के लिए हॉस्टल की व्यवस्था नही है ।
गौरतलब है कि यह जिले का सबसे पुराना और एकमात्र शासन द्वारा प्रवर्तित तकनीकी उच्च शिक्षा प्राप्त करने का माध्यम है और इसके अध्यक्ष शासन के उच्च शिक्षा एवं तकनीकी मंत्री उमेश पटेल हैं जो रायगढ़ (Raigarh) जिले से ही हैं । फिर भी इन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में के आई टी की समस्या से आंखें फेर रखी हैं । आजतक इस कॉलेज की समस्या का कोई स्थाई समाधान सामने नहीं आया है।
यह मंत्री उमेश पटेल की विफलता मानी जा रही है । दिलचस्प बात यह है कि इस कॉलेज के प्रवर्तकों में मंत्री उमेश पटेल के स्वर्गीय पिता नंदकुमार पटेल, तत्कालीन गृह मंत्री रहे हैं। इस वजह से कॉलेज कर्मियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। कॉलेज के सारे स्टॉफ ने कॉलेज के निदेशक को ज्ञापन देकर उनके समक्ष अपनी मांग को रखा और उसके पूरा नहीं होने तक किसी भी प्रकार के काम नहीं करने का फैसला लिया है।
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