India News (इंडिया न्यूज़), Dantevada News, दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। नदी और नाले सब उफान पर है। चारों ओर पानी के कारण कई गांव टापू में तब्दील हो गए है। खासकर दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जिले में बारिश ने जमकर कहर बरपाया है। परिणामस्वरूप लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ ने सरकार की विकास की पोल खोल कर रख दी है।
आपको बता दें की इन गांव में कोई पुल या पुलिया नहीं होने की वजह से लोगों को नाले को पानी को पार करके जाना पड़ रहा है। कुछ ऐसा ही हाल दंतेवाड़ा जिले के बोरोकुम गांव का भी है।बोरगाम और बालम गांवों के पास बहने वाली मार्गर नाला नदी उफान पर है और ग्रामीणों को अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए गांव के तैराकों की मदद से नाले के एक छोर से दूसरे छोर तक जाना पड़ता है।
गांव के नाला पार करवाने के 30 रुपये लेते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे वर्षों से इस गांव में पुल बनाने की गुजारिश सरकार ने अनदेखी की है इसलिए उन्हें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के लिए गांव के तैराकों के कंधों पर लटककर नाला पार करना पड़ता है।
दरअसल, जिले के कुआकोंडा के बुरगुम और रेवली में मालगेर कमेटी के नक्सली मौजूद हैं। यहां कई साल पहले नक्सलियों ने मालगेर नदी पर बने पुल को तोड़ दिया था। वहीं कुछ जगहों पर पूल भी नहीं बनाये गये हैं जिसकी वजह से रेवली, गोंडेरास, चिरमुर जैसे गांव बारिश के मौसम में टापू में तब्दील हो जाते हैं।
क्षेत्र में रहने वाले 4,000 से अधिक ग्रामीणों को बरसात के बाद चार महीने तक मुलगेर नाला के उफनते पानी को पार करके अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पालनार और दंतेवाड़ा आना पड़ता है। क्षेत्र में अब तक सरकारी सड़क व पुल नहीं बन पाया है।
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