कोरिया: 1992 से हर साल 22 मार्च के दिन विश्व जल दिवस मनाया जाता है। ये दिन हमारे जीवन में जल के महत्व और उसके संरक्षण के महत्व को बताता है। कोरिया जिले में वैसे तो जलजीवन मिशन, सौर उर्जा विभाग और ग्राम पंचायत के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराने में जुटा है। अरबो के बजट से इसके लिए कार्य किए जा रहे है। परन्तु आज भी ग्रामीण की नदी-नाले से पानी पीकर गुजारा करने की तस्वीरें सामने आती रहती है। इंडिया न्यूज ने विश्व जल दिवस पर ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों को हाल जाना है। कोरिया की तीन विधानसभाओं के एक-एक विकासखंड में पेयजल को लेकर पड़ताल किया गया है। जिसमें पता चला कि यहां आज भी लोग ढ़ोढ़ी, नदी और कुंआ से पानी पीने को मजबूर है। इन लोगों में ज्यादातर जनजातियां शामिल है।
इस बात की जानकारी के लिए इंडिया न्यूज की टीम ने इस संबंध में पीएचई के कार्यपालन अभियंता से बात की है। जिसमें उनका कहना है कि मुझे इसकी जानकारी मिली है। अभी भी कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में लोग नदी और ढ़ोढ़ी का उपयोग कर रहे है। अभी हमारा काम प्रगति पर है। कुछ स्थानों पर सौर उर्जा के कारण पंप बंद है उन्हे दुरूस्त करने के लिए विभाग को बोला गया है। जल्द ही समस्याओं का निराकरण कर लिया जाएगा।
बैकुंठपुर के ग्राम पंचायत सरईगहना के कोरवापारा में संरक्षित जनजाति कोरवा के लगभग 15 से 20 घर है। यहां के लोग अभी भी गेज नदी से पानी लाकर अपना गुजर बसर करते है। इसके लिए वे अपने घर से नीचे पथरीले रास्ते से होकर नदी पहुंचते है और फिर उसकी रास्ते की बड़ी चढाई चढ कर पानी लाते है। इनके पास राशन कार्ड भी है। यहां पीएचई विभाग ने दो हैंडपंप भी खोदे गए, परन्तु पानी नहीं निकला, पानी को लेकर कोरवा महिलाओं में काफी नाराजगी देखने को मिली है। वहीं ग्राम पंचायत मुरमा के फरीकापानी में तीन कुंएं है। यहां की 300 आबादी 2 कुंए पर निर्भर है। स्कूल के पास पीएचई विभाग ने जलजीवन मिशन के तहत टंकी भी लगाई है। परन्तु सौर उर्जा विभाग की लापरवाही के कारण बीते 5 माहिने से बंद है। वहीं स्कूल से कुछ दूरी पर स्थित कुंएं में मध्यान्ह भोजन के समय कई दर्जन भर स्कूली छात्र छात्राओं केा जमघट हो जाता है। सभी इसी कुए से ही पानी पीते है, ऐसे में ग्रामीणों को कुंए पर किसी दुर्घटना का डर सताते रहता है। मनेन्द्रगढ विधानसभा का खड़गवा तहसील में ग्रामीणों को सबसे ज्यादा जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
भरतपुर सोनहत विधानसभा के सोनहत विकास खंड में बताया जाता रहा है कि यहां 13 सौ करोड़ के विकास कार्य किए गए है। परन्तु यहां के कई गांव के ग्रामीण आज भी तुर्रा, कुंआ और ढ़ोढ़ी से प्रदूषित पानी पीकर अपना जीवन यापन कर रहे है। इसमें रजौली के बिन्द्रापारा और पंडोपारा के ग्रामीण ढ़ोढ़ी, रामगढ़ के तुर्रीपारा के ग्रामीण तुर्रा, भैंसवार के पहाड़पारा में ढ़ोढ़ी, कुशहा के विरोरीडांड में ढ़ोढ़ी, सिंघोर के चेरवापारा के ग्रामीण ढ़ोढ़ी, अमृतपुर के सोमरिया, गोंडपारा के ग्रामीण तुर्रा, पोडी के झरियापारा और पोडीपारा के ग्रामीण तुर्रा, आन्नदपुर के गोयनी के मुखपारा के ग्रामीण तुर्रा, अकलासरई के स्कूलपारा के ग्रामीण भी तुर्रा से पीने का पानी पीने को मजबूर है।
बैकुंठपुर विधानसभा में भी 3 से 4 ग्राम पंचायतों में पीने के पानी को लेकर ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसमें ग्राम पंचायत मुरमा के फरिकापानी में कुंआा और देवखोल में ढ़ोढ़ी से पानी पीने को मजबूर है। वहीं पीपरडांड के दुहियापारा, लरकापारा और नावापारा के कुंआ, के साथ ग्राम पंचायत सरईगहना के कोरवापारा के ग्रामीण नदी और और पंडोपारा के ग्रामीण ढ़ोढ़ी से पानी पीने को मजबूर है।
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