इंडिया न्यूज़, Festival News (Dussehra) : आज पुरे देश में दशहरा की धूम देखने को मिलेगी। इसी के चलते अलग -अलग स्थानों पर अलग -अलग तरिके से दशहरा मनाया जा रहा है। ऐसे में अब दिल्ली में पटाखे बैन होने के कारण अबकी बार बिना पटाखों के रावण जलाया जाएगा (Ravana without firecrackers in Delhi)। जबकि मैसूर में तो बिना राम और रावण के ही दशहरा मनाया जाएगा। कुल्लू के दशहरा आयोजन में PM मोदी भी शामिल होंगें। बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाला दशहरा आयोजित, आइये जानें देश में किस प्रकार मनाया जा रहा दशहरा –
बस्तर में विश्व प्रसिद्ध दशहरा चल रहा है जो करीब 75 दिनों तक विश्व का सबसे लंबे समय तक चलने वाला दशहरा है। (Bastar’s 75-day long Dussehra) इसमें कई प्रकार की रस्में हर साल निभाई जाती है, जिसके चलते इस बार भी मां दंतेश्वरी के रथ को कई लोग मिलकर खींच रहे है।उस समय जब राजा पुरुषोत्तम देव का राज था तो चक्रकोट एक स्वतंत्र राज्य था , और इसकी राजधानी बड़े डोंगर थी। राजा भगवान जगन्नाथ के भक्त थे। इतिहास के मुताबिक 1408 के उपरांत राजा ने पदयात्रा शुरू की थी। जिसके चलते उन्हें रथपति की उपाधि दी गई थी। इस उपाधि में उन्हें 16 पहिए रथ दिया गया था।
(600 years old tradition) हालांकि इस रथ को उस समय किसी भी सड़क पर चलना संभव नहीं था। क्योंकि सड़के इतनी अच्छी नहीं थी, जिसके चलते रथ को तीन हिस्सों में बांट दिया गया। (Bastar will celebrate Dussehra) चार पहियों वाला रथ भगवान जगन्नाथ के लिए होता है। जबकि दशहरे के लिए दो रथ बनाए जाते है, इनमें एक रथ 8 पहिये का होता है जिसे विजय रथ कहा जाता है। बस्तर दशहरा 75 दिन तक चलता है जिसमें कई रस्में निभाई जाती है।
कुल्लू में करीब 372 सालों से दशहरा भगवान रघुनाथ की अध्यक्षता में मनाया जाता है। जिसके चलते यहाँ अलग -अलग देवी देवताओं की झांकियां निकली जाती है। इसके लिए दशहरा उत्सव समिति निमंत्रण पत्र भेजती है। यहां झांकियां निकलने के लिए कुल्लू के साथ खराहल, सैंज, रूपी वैली, ऊझी घाटी, बंजार तक से कई देवी -देवताओं की झांकियां पहुंची है। बाह्य सराज आनी-निरमंड से करीब 200 किलोमीटर तक से देवी देवता यहां सफर करके दशहरे में शामिल होने के लिए पहुंचे है। ढालपुर मैदान में इस दशहरे का आयोजन किया जाएगा। PM मोदी भी इस आयोजन में शामिल होगें। जिसके चलते कई घोषणाएं होगी।
मैसूर में करीब 600 साल से दशहरा उत्सव मनाया जाता है। यहां का दशहरा ऐतिहासिक रूप से तो महत्वपूर्ण है। यहां का इतिहास में बल्कि देवी चामुंडा ने राक्षस महिसासुर का वध किया था, जिसके उपलक्ष में दशहरा मनाया जाता है। यहां दूर- दूर से लोग दशहरे में शामिल होने के लिए आते है। (Ram and Ravana without Ram in Mysore)
इस दशहरे की खास बात यह है कि यहां न तो रावण होता है और न ही राम। यहां रावण के पुराले का दहन भी नहीं किया जाता। इस दशहरे में हर वर्ष करीब 6 लाख से भी ज्यादा पर्यटक आते है इस दशरे में करीब 10 दिन तक उत्सव होता है। 21 टोफू की सलामी के बाद सोने चांदी से शृंगार करके हाथियों को राजमहल से निकला जाता है। इसमें माता चामुंडेश्वरी की मूर्ति रखी होती है।
इस बार दिल्ली के दशहरे के रावण में पटाखे नहीं डाले जाएगें, यहां करीब 100 फिट के रावण के अलावा कुंभकरण व मेघनाद के पुतले जलेंगे। रावण में पटाखे न होने का बड़ा कारण पटाखों पर बैन है। देश की राजधानी में 70 फिट से लेकर करीब 100 फिट तक के पुतले तैयार किये जाते है। इसी के चलते रामलीला मैदान में करीब 90 फीट ऊंचा रावण बनाया जाएगा। जबकि लाल किले में लव कुश रामलीला में 100 फीट का रावण नवश्री में 90 फीट के रावण के पुतले का दहन किया जाएगा।
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