इंडिया न्यूज़, Festival News: बस्तर में विश्व प्रसिद्ध दशहरा चल रहा है जो करीब 75 दिनों तक विश्व का सबसे लंबे समय तक चलने वाला दशहरा है। (Rath Parikrama ritual started in Bastar Dussehra) इसमें कई प्रकार की रस्में हर साल निभाई जाती है, जिसके चलते इस बार भी मां दंतेश्वरी के रथ को कई लोग मिलकर खींच रहे है।
यह रस्म नगर परिक्रमा रस्म के नाम से जानी जाती है। इस बार करीब 40 फिट लंबा और करीब 20 फिट चौड़ा रथ लोगों के द्वारा खींचा जाता है। (people pulled 40 feet long chariot) इस रथ की ऊंचाई करीब 30 फिट होती है। अबकी बार भी कई लोग इस रथ को खींचने के लिए अपने आप बस्तर में पहुंचे है। इस रथ को फूल रथ भी कहा जाता है क्योकि इसे फूलो से सजाया जाता है।
मंदिर के प्रधान पुजारी कृष्ण कुमार ने कहा कि रथ परिक्रमा करवाने की परंपरा शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन से ही शुरू हो गई थी। इस परंपरा में पहले 6 दिनों तक नगर की परिक्रमा फूल रथ से करवाई जाती है। मंगलवार को रथ पर मां दंतेश्वरी के छत्र को स्थापित किया जाता है। जिसे फिर खींचा जाता है। उन्होंने बताया की हर वर्ष 4 पहिये वाले और 8 पहिए वाले रथ बनाए जाते है एक साल 4 पहिये वाला रथ जबकि दूसरे साल 8 पहिये वाला रथ बनाया जाता है। यह प्रक्रिया हर साल चलती है। इसमें विजय रथ और फूल रथ बनाया जाता है।
उस समय जब राजा पुरुषोत्तम देव का राज था तो चक्रकोट एक स्वतंत्र राज्य था , और इसकी राजधानी बड़े डोंगर थी। राजा भगवान जगन्नाथ के भक्त थे। इतिहास के मुताबिक 1408 के उपरांत राजा ने पदयात्रा शुरू की थी। जिसके चलते उन्हें रथपति की उपाधि दी गई थी। इस उपाधि में उन्हें 16 पहिए रथ दिया गया था।
(600 years old tradition) हालांकि इस रथ को उस समय किसी भी सड़क पर चलना संभव नहीं था। क्योंकि सड़के इतनी अच्छी नहीं थी, जिसके चलते रथ को तीन हिस्सों में बांट दिया गया। चार पहियों वाला रथ भगवान जगन्नाथ के लिए होता है। जबकि दशहरे के लिए दो रथ बनाए जाते है, इनमें एक रथ 8 पहिये का होता है जिसे विजय रथ कहा जाता है। बस्तर दशहरा 75 दिन तक चलता है जिसमें कई रस्में निभाई जाती है।
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