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राजनांदगांव में पशुओं में दिखे लंपी वायरस के लक्षण, इलाज शुरू

• LAST UPDATED : September 24, 2022

इंडिया न्यूज़, Chhattisgarh News: पिछले कुछ समय से लंपी वायरस के कारण प्रदेश में बहुत पशुओं की मौत हो चुकी है। इस वायरस ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात समेत देश के कई राज्यों में अपना कहर बरपाया है। इसके चलते छत्तीसगढ़ में भी इसके लिए अलर्ट जारी किया गया था। (Symptoms of lumpy virus seen animals in Rajnandgaon) हालांकि अब स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन फिर भी प्रदेश के राजनांदगांव में वायरस के लक्षण कुछ पशुओं में सामने आए है। जिसका इलाज किया जा रहा है।

लंपी वायरस की पुष्टि नहीं हुई (Symptoms of lumpy virus seen animals in Rajnandgaon) 

अभी भी देश के कई राज्यों में लंपी वायरस की चपेट में आकर कई पशुओं की मौत हो रही है। जिससे पशु पलकों को काफी नुकसान हुआ है। हालांकि अब प्रदेश के राजनांदगांव में भी कुछ पशुओं में लंपी वायरस के लक्षण सामने आए है। जिसका अभी इलाज किया जा रहा है। लेकिन पशुधन विकास विभाग की ओर से अभी तक लंपी वायरस होने की पुष्टि नहीं की गई। (Lumpy virus-like symptoms in cattle) प्रदेश के इस शहर में लंपी वायरस होने की बात सोशल मीडिया पर खूब वारयल हो रही थी, जिसके चलते विभाग के अधिकारी अलर्ट हो गए और मवेशियों का इलाज शुरू कर दिया। ताकि अगर यह सच में लंपी वायरस हुआ तो इसे मौका रहते नियंत्रण में किया जा सकें।

दूसरे राज्यों से पशुओं को लाने पर रोक

इसके अलावा दूसरे राज्यों से छत्तीसगढ़ प्रदेश में पशुओँ के आने पर रोक लगाई है। जिस गांव के पशु इस वायरस से संकर्मित है वहां गोटपाक्स वैक्सीन से रिंग वैक्सीनेशन करने के आदेश दिए है। जिन पशुओँ को यह वायरस है उनका सैंपल लेकर राजधानी में राज्य स्तर पर भेजने की बात कही गई है। ताकि वायरस के बारे में और जांच की जा सके। इसी के चलते प्रदेश के सभी जिलों में सतर्कता बर्ती जा रही है। इसके अलावा जिन पशुओं को यह रोग है उनके लिए दवाइयां औषधियां उपलब्ध कराने की बात भी कही है। जिसके लिए राज्य बजट का भी प्रयोग किया जा सकता है।

जानें क्या है यह रोग

इस रोग से पशुओं में लम्पी स्किन डिजीज का संक्रमण फैलता है। इसमें एक से दूसरे पशु को छूने या फिर मच्छर व मक्खियों के द्वारा फैलता है। इसमें बुखार के साथ पशुओं को छोटी-छोटी गांठ शरीर पर बन जाती है। जो कुछ समय बाद घाव बन जाते है। जिसके चलते पशुओं की मौत हो जाती है।

इस प्रकार के लक्षण अगर किसी भी पशु में दिखे तो तुरंत उसका इलाज करवाना चाहिए। बता दें कि इसका पहला केस 1929 में अफ्रीकी देश जांबिया में मिला था। इसके बाद यह धीरे- धीरे अन्य देशो में भी फ़ैल गया। भारत में इसका पहला केस केरल में मिला था इसके बाद यह बीमारी अन्य राज्यों में भी बेकाबू होती हुई नज़र आई है।

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