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चीन में फैला नया Langya Virus , 35 लोग हुए संक्रमित

• LAST UPDATED : August 13, 2022

इंडिया न्यूज़ ,छत्तीसगढ़ : New Langya Virus spread in China :दिन प्रतिदिन नए नए वायरस सामने आने की खबर आती रहती है । तो वही एक और वायरस की खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है ये वायरस भी चीन में पाया गया है। कहा जा रहा है इस वायरस का नाम लैंग्या वायरस है। ये एक जूनोटिक वायरस है, इस बात का दावा ताइवान की ताइवान सेंटर्स फॉर डिजीज कण्ट्रोल ने किया है की चीन में जूनोटिक लैंग्या वायरस मिला है। लैंग्या वायरस से अभी तक 35 लोग संक्रमित हो चुके है। ये वायरस सबसे पहले चीन के शेडोंग और हेनान प्रांत में पाया गया है। इस वायरस को हेनिपावायरस नाम से भी जाना जाता है।

लैंग्या हेनिपावायरस 

लैंग्या वायरस को हेनिपावायरस के नाम से भी जाता है। यह वायरस इंसानों में सबसे पहले चीन के शैनडॉग प्रॉत में जनवरी 2019 में मिला था। विशेषज्ञयों के अनुसार अभी तक इस वायरस के फैलने के कारणों का अभी पता नहीं चला है। पर ज्यादातर विशेषज्ञयों का मत है ये वायरस छछूंदरो जैसे छोटे जानवरो से आया है। यह वायरस जानवरो से इंसानो में फैलता है। (New Langya Virus spread in China)

लैंग्या वायरस के लक्षण

इस वायरस का पता लगाने के लिए नुक्लिक एसिड टेस्ट किया जाता है। विशेषज्ञयों को इस वायरस में बुखार,सर दर्द, थकान, उलटी, हडियो में दर्द जैसे लक्षण देखने को मिले है। बीमार होने की अवधि सबके लिए अलग अलग बताई जा रही है। इस वायरस गंभीर रूप से बीमार हो सकते है और गुर्दे से जुडी समस्या हो सकती है।

हेनिपावायरस को जैव सुरक्षा स्तर 4 (बीएसएल 4) रोगजनकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वे जानवरों और मनुष्यों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं, और अभी तक इस वायरस के उपचार के लिए मनुष्यों के लिए कोई लाइसेंस प्राप्त दवाएं या टीके नहीं हैं।

बताया जा रहा है ये एक जूनोटिक वायरस है जो जानवरो से इंसान में फैलता है। विशेषज्ञयो के अनुसार नया लैंग्या वायरस दो मौजूद निपाह वायरस और हेंड्रा के समान है जो इंसानो में पाए जाते है। हेंड्रा वायरस का सबसे पहले 1994 में पता चला था। निपाह वायरस एक जूनोटिक वायरस है जो जानवरों से इंसानो में फैलता है। निपाह वायरस वर्ष 1998-1999 में मलेसिआ और सिंगापूर में फैला था। विशेषज्ञयों के अनुसार फ्रूट बैट्स को निपाह वायरस का प्राकर्तिक स्रोत माना जाता है। निपाह वायरस के कुछ मामले भारत में भी देखने को मिले थे।

हालांकि इस आधार पर कुछ विशेषज्ञ का मानना ये एक जूनोटिक वायरस है पर अभी तक इस बारे में कोई पर्याप्त जानकारी नहीं है। इसलिए कोई सटीक बात कहना अभी मुश्किल है। अभी तक इस वायरस के उपचार के लिए मनुष्यों के लिए कोई दवाई या वैक्सीनेशन अभी तक नहीं आया हैं ।

 

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