इंडिया न्यूज़, Bilaspur News: बिलासपुर के तखतपुर, मस्तूरी जैसे इलाके में किसान खाद की किल्लत से जूझ रहे है। जिसके चलते किसानों को कई मुस्किलो का सामना करना पड़ रहा है। इसकी एक वजह समय से लेट आया मानसून भी कही जा रही है। जिसके चलते समितियों के अलावा बाहर बाजार से महंगे रेट पर किसान खाद खरीदने पर मजबूर है।
बता दें कि कुछ समय पहले इस प्रकार की कलाबाज़ारी पर रोक लगाने के लिए अधिकारियों ने कार्यवाही भी की थी। लेकिन अब फिर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा। जिसके चलते किसानों तक खाद की पहुंच न होने से किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
जानकारी के मुताबिक इस समय यूरिया की एक बैग जो 45-50 Kg का होता है उसकी कीमत 266 रुपये है। जबकि खाद की कमी के चलते इसी बैग को अब बाहर बाजार में कई स्थानों पर 600 रुपये से भी अधिक में बेचा जा रहा है। मज़बूरी में किसान को यह खाद महंगे में ही खरीदना पड़ रहा है। जिसके चलते दुकानदार कालाबाज़ारी कर लाखो रुपये किसानों से ले रहे है। इसी के चलते डीएपी की कीमत समितियों में करीब 1350 रुपए है। जबकि बाजार में इसी खाद के बैग को करीब 1500 रुपये से भी ज्यादा में बेचा जा रहा है। इसी के चलते 200 से 300 रुपये दुकानदार केवल एक बैग से ही कमा रहे है।
जानकारी के मुताबिक पिछले करीब एक सप्ताह से समितियों में खाद उपलब्ध नहीं है। बता दें कि खाद को ट्रांसफर करने की जिम्मेदारी मार्कफेड और माॅनिटरिंग खाद विभाग की है। मल्हार समिति के संचालक ने कहा कि यहां के खाद का कोटा समाप्त हो चुका है, इसी के चलते समिति में पिछले करीब 7-8 दिन से एक भी खाद का बैग नहीं आया।
इसके अलावा मस्तूरी के करीब 7 से भी ज्यादा गांवों में भी खाद की कमी चल रही है। हालांकि खाद की मॉनिटरिंग के लिए 122 कृषि विस्तार अफसरों की ड्यूटी लगाई है। एफसीआई के अध्यक्ष ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि अभी तक खाद की कालाबाज़ारी की एक भी शिकायत नहीं आई है। उन्होंने कहा कि अगर कही कालाबाज़ारी खाद की हो भी रही है तो इसकी तत्काल जांच करवाई जाएगी।
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