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शनि देव को धर्मराज कहा जाता है, लोगों को उनके कर्मों के अनुसार शनिदेव फल देते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार शनि देव को भी श्राप का भागी बनना पड़ा था।
वेद पुराणों में भी शनि देव की कथा का जिक्र मिलता है, ब्रह्मपुराण के अनुसार, शनि देव श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे, वह अपना ज्यादातर समय श्रीकृष्ण की उपासना में ही बिताते थे।
एक बार की बात है जब शनि देव की पत्नी को संतान पाने की इच्छा हुई, वह शनि देव के पास पहुंची, लेकिन शनि देव कृष्ण भक्ति में रमे हुए थे।
पत्नी के कोशिशों के बाद भी शनि देव का ध्यान भंग नहीं हुआ, कोशिशों के बाद भी ध्यान भंग न हुआ तो शनि देव की पत्नी को गुस्सा आ गया और उन्होंने क्रोध में ही शनि देव को श्राप दे दिया।
पत्नी ने कहा श्राप देते हुए कहा कि आज के बाद जिस व्यक्ति पर शनि देव की दृष्टि पड़ेगी वह तबाह हो जाएगा., जब शनि देव ध्यान से जागे तो उन्हें अपनी भूल का आभास हुआ पत्नी से क्षमा भी मांगी।
लेकिन शनि देव की पत्नी के पास श्राप को निष्फल करने की कोई शक्ति नहीं थी, इसी घटना के बाद से शनि देव अपना सिर नीचे करके चलने लगे, जिससे उनकी दृष्टि से किसी का बिना बात के विनाश न हो।