तपती धरती को लेकर नई स्टडी में खौफनाक दावे

धरती पर रिकॉर्डतोड़ गर्मी पड़ रही है, 2023 में वह अब तक के सबसे ऊंची स्तर पर पहुंच गई, जिसमें हर रिकॉर्ड तोड़ने वाली गर्मी का 92 प्रतिशत कारण इंसान थे, साइंटिस्ट्स ने यह कैलकुलेशन की है

दुनिया भर के 57 वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने पिछले साल की बहुत ज्यादा गर्मी के पीछे के कारण जानने और इसकी जांच करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के बताए तरीकों का इस्तेमाल किया

उन्होंने कहा कि पारा तेजी से बढ़ने के बावजूद उन्हें जीवाश्म ईंधन के जलने की तुलना में मनुष्यों के कारण क्लाइमेट चेंज में ज्यादा तेजी के सबूत नहीं दिखते

लीड्स यूनिवर्सिटी के क्लाइमेट साइंटिस्ट और स्टडी के चीफ राइटर पियर्स फोर्स्टर ने कहा, 'टेंपरेचर बढ़ रहा है और चीजें ठीक उसी तरह से बदतर होती जा रही हैं जैसा हमने अनुमान लगाया था

फोर्स्टर ने कहा, पिछले साल, तापमान में इजाफे की दर प्रति दशक 0.26 डिग्री सेल्सियस रही जो इसके पहले के साल में 0.25 डिग्री सेल्सियस थी. यह कोई बड़ा अंतर नहीं है, हालांकि इससे साल की तापमान वृद्धि दर अब तक की सबसे अधिक हो गई है

उन्होंने कहा, 'मेरे लिए यह ऐसी चीज है जिसके लिए लड़ना चाहिए

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जब तक दुनिया में कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल होता रहेगा, पृथ्वी 4.5 वर्षों में उस पॉइंट पर पहुंच जाएगी जहां यह तापमान में इजाफे के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत सीमा (1.5 डिग्री सेल्सियस) को पार करने से बच नहीं सकती

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर गई तो इससे दुनिया या मानवता का अंत नहीं होगा, लेकिन यह काफी चिंताजनक होगा

उन्होंने कहा, 'लेकिन जो हो रहा है वह पहले से ही बहुत बुरा है और इसका पहले से ही बड़ा प्रभाव पड़ रहा है, हम संकट के बीच में हैं'

टेक्सास टेक यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक और ‘नेचर कंजर्वेंसी’ के मुख्य वैज्ञानिक कैथरीन हेहो ने कहा, "भविष्य हमारे हाथों में है. फिजिक्स नहीं, बल्कि इंसान यह तय करेगा कि दुनिया कितनी तेजी से और कितनी गर्म होगी