आचार्य चाणक्य ने ऐसे लोगों का वर्णन किया है जो मानो सीधे स्वर्ग से धरती पर आए हों।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसे लोग भगवान के समान होते हैं। पृथ्वी पर लोगों को सदैव उनका सम्मान करना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति दिल से बहुत कुछ देता है और आदत से मृदुभाषी होता है, वह देवता के समान होता है।
जो भगवान की पूजा करता है, उनका सम्मान करता है और विद्वान ब्राह्मणों को संतुष्ट रखता है, वह स्वर्ग से आए देवता के समान है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिन लोगों में ये चार गुण होते हैं, मानो धरती पर देवता उतर आए हों।
वाणी में मधुरता, अभिमान रहित होकर प्रेमपूर्वक बोलना, दान देने की प्रवृत्ति, देवताओं और ब्राह्मणों का आदर करना देवताओं के लक्षण हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार धर्म शास्त्रों में इन सभी चीजों को दैवी संपत्ति कहा गया है। जिसके पास यह है वह देवता के समान है।
ऐसे लोगों को समाज में सम्मान मिलता है। इन लोगों का अपमान कभी नहीं करना चाहिए।
खासकर दान देने को आचार्य चाणक्य ने सबसे उत्तम कार्य बताया है। जो दीन-दुखियों और धार्मिक कार्यों के लिए दान करता है, वह सदैव सुखी रहता है।