India News (इंडिया न्यूज़), Social Media: सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री का मामला SC तक पहुंचा है। इसे पीडियाट्रिक सर्जन संजय कुलश्रेष्ठ कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। इस याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार यह साफ करे कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अश्लील कंटेंट न हो। ऐसे कंटेंट की वजह से यौन अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है। याचिका के अनुसार, इंटरनेट के जरिए इसे बढ़ावा मिल रहा है और नाबालिग लड़कियों के खिलाफ यौन अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है।
अश्लील कंटेंट को लेकर कही ये बात
SC के वकील आशीष पांडे ने कहा भारत में अश्लील कंटेंट को लेकर कई कानून बनाए है। सजा क्या होगी, यह निर्भर करता है कि आरोपी किस तरह का कंटेंट देख रहा है और वो कहां देख रहा है। ये बड़े फैक्टर हैं. जैसे- अगर कोई बड़ा अकेले में सामान्य पॉर्न कंटेंट देख रहा है जो उस खास टार्गेट ग्रुप के लिए तैयार किया है तो यह अपराध नहीं है। इसके लिए कोई सजा नहीं है। भारतीय संविधान में निजता से जुड़े कुछ ऐसे प्रावधान बनाए हैं जिसके तहत उन चीजों पर तब तक रोक नहीं लगा सकते है जब तक वह गैर-कानूनी न हो।
आशीष पांडे ने कहा, कुछ खास तरह का अश्लील कंटेंट ऐसा भी होता है, जिसे अकेले में भी देखना अपराध है। अगर कोई बच्चा पॉर्नोग्राफी या किसी महिला के साथ कुछ अश्लील हरकत हुई है और वो उसे देख रहा है तो यह अपराध की कैटेगरी में आता है। इसके लिए आरोपी को सजा दी जा सकती है। चाइल्ड पॉर्नोग्राफी देखने पर पॉक्सो एक्ट के तहत सजा देने का प्रावधान है।
IT एक्ट के सेक्शन 67 के मुताबिक, इस नियम को न मानने पर 3 साल की सजा दी जा सकती है। चाइल्ड पॉर्नोग्राफी से जुड़ा सेक्शन 67A और 67B कहता है, अकेले में इस तरह का कंटेंट देखना अपराध की कैटेगरी में आता है। ऐसे मामलों में यह नहीं कहा जा सकता है कि मैं इसे अकेले में देख रहा था।
IPC सेक्शन 292कहता है कि अगर कोई पॉर्नोग्राफी कंटेंट बनाता है या उसे बांटता है तो यह अपराध है। जैसे- इसे रिलीज करना या वॉट्सऐप पर शेयर करना अपराध है। या फिर इसे किसी को दिखाते हैं तो सजा दी जा सकती है। आशीष पांडे के मुताबिक, अश्लील कंटेंट को तैयार करना प्रतिबंधित है, फिर चाहें वो किसी भी तरह का क्यों न हो। बस इतना ही नहीं, किसी भी महिला पर अश्लील कंटेंट देखने के लिए दबाव बनाना भी अपराध की श्रेणी में आता है। सोशल मीडिया पर इसे शेयर करना भी एक अपराध है।
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