यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने कृत्रिम सूर्य ग्रहण बनाने की योजना का खुलासा किया है
इस पर काम शुरू हो गया है और यह बहुत जल्द हो सकता है, इसका लक्ष्य कोरोना और अंतरिक्ष के मौसम पर इसके प्रभाव का अध्ययन करना है
एजेंसी ने बताया है कि इसके लिए कुछ अंतरिक्ष यानों की जरूरत है, जिन्हें वह लॉन्च करने की तैयारी कर रही है
ये बहुत छोटे होंगे लेकिन उनके पीछे की इंजीनियरिंग ऐसी होगी जिसके चलते वे सूर्य ग्रहण जैसी बड़ी खगोलीय घटना का निर्माण कर पाएंगे
ईएसए दो उपग्रहों की मदद से कृत्रिम ग्रहण को बनाएगा, यह मानव निर्मित ग्रहण बनाने की कोशिश करने वाला पहला मिशन होगा
यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने इस मिशन को प्रोबा-3 नाम दिया है,इस मिशन के लिए दो अंतरिक्ष यान- कोरोनाग्राफ और ऑकल्टर- का इस्तेमाल किया जाना है
अंतरिक्ष में भेजने के बाद उन्हें 144 मीटर या उससे अधिक की दूरी पर सटीक स्थिति में रखा जाएगा, यह इतना सटीक होगा कि इसमें मिलीमीटर स्तर का भी अंतर नहीं होगा
ऑकल्टर सूर्य के करीब जाएगा और उसकी डिस्क को अवरुद्ध करने लिए उसकी सीध में खड़ा होगा, इस प्रक्रिया से दूसरे उपग्रह पर उसी तरह छाया बनेगी
जैसे सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है,यह एक आदर्श सूर्य ग्रहण की स्थिति होगी