उसे शराब, शबाब और औरतों का बड़ा शौक था, उसके हरम में एक से बढ़कर एक हसीनाएं थीं
जहांगीर एक दिन में 20-20 पैग नहीं बल्कि प्याले शराब पी जाते थे
उस दौर के पैग भी 30 या 60 ml के नहीं बल्कि उससे कहीं बड़े होते थे, हालांकि बाद में जब उसके कुछ साइ़ड इफेक्ट हुए तो उन्होंने इसकी संख्या 20 प्यालों से घटाकर 5-6 प्याले कर दी थी
सिपहसालार महावत खां ने एकबार जहांगीर को बंदी बना लिया था,महावत खां मुगल सेना में बड़े ओहदे पर था, उसे बेगम नूरजहां का बरताव पसंद नहीं था
आगे नूरजहां को भी सरेंडर करना पड़ा, बाद की कहानी लंबी है लेकिन अंत भला तो सब भला,मैटर शार्ट आउट हो जाता है