प्रेमानंद जी महाराज ने बताया जीव हत्या को पाप बताया है। मनुष्य नहीं राक्षसों का भोजन है मासाहार...
प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि जब कोई व्यक्ति किसी जीव को काट कर, पका कर खाता है तो वह पाप का भागीदारी बन जाता है।
प्रेमानंद जी महाराज आगे बताते हैं कि मनुष्य के लिए दाल, रोटी, सब्जी, मेवा आदि बनाय गए हैं। मनुष्य को केवल इन्ही चीज़ो का सेवन करना चाहिए।
पशु पक्षियों को मारकर खाना राक्षसों का भोजन है, यदि मनुष्य इसका सेवन करता है तो उसे कुंभिपाक नर्क में अपने कर्मो का फल भोगना पड़ता है।
प्रेमानंद जी महाराज ने आगे यह भी बताया कि यदि आप मासाहारी हैं और इससे दूर होना चाहते है तो आपको भगवान का नाम जप करना चाहिए।
यदि आप मासाहार जैसे पाप से दूर होना चाहते हैं हैं तो आपको भगवान कि साधना और भगवत सेवा करनी चाहिए। जिससे आपको इन पापों से दूर होने का सामर्थ्य प्राप्त होगा।