India News CG (इंडिया न्यूज), CG News: छत्तीसगढ़ सरकार की रामलला दर्शन योजना को संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत के विपरीत मानते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में सरकार की योजना को संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत के खिलाफ बताया गया है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
दरअसल, राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के लोगों को रामलला के दर्शन कराने के लिए एक योजना शुरू की है। जिसमें लोगों को रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या धाम ले जाया जाता है और फिर वापस लाया जाता है। बिलासपुर जिले के देवरीखुर्द निवासी याचिकाकर्ता लखन सुबोध ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस योजना को संविधान के प्रावधानों के विपरीत बताते हुए इसे बंद करने की मांग की है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। रामलला दर्शन योजना संविधान में निहित बातों और शर्तों के विपरीत है। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता पर तर्क देते हुए राज्य सरकार से इस योजना को बंद करने का आदेश देने का आग्रह किया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र अग्रवाल की खंडपीठ में हुई
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि रामलला दर्शन योजना किसी धर्म या जाति के आधार पर नहीं की गई है। यह योजना धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करती। यह राज्य के लोगों के भ्रमण के लिए है। यह योजना राज्य में रहने वाले उन गरीब लोगों के लिए फायदेमंद है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और धार्मिक यात्रा पर जाने में सक्षम नहीं हैं। वे निःशुल्क अयोध्या पहुंचेंगे और रामलला के दर्शन कर लौट जायेंगे। मामले की सुनवाई के दौरान कहा गया कि यह राज्य सरकार का नीतिगत फैसला है, जिस पर हाईकोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता। आपको बता दें कि रामलला दर्शन की योजना राज्य सरकार की कैबिनेट का फैसला है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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